उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में मंत्री के पुत्र आशीष मिश्र के काफिले द्वारा किसानों पर गाड़ी चढ़ाने से किसानों की दर्दनाक मौत पर पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव ने कड़े शब्दो मे निंदा करते हुए कहा कि देश का अन्नदाता सरकार द्वारा थोपे जा रहे कृषि कानूनो के खिलाफ सडको पर है। किसान आंदोलन मे 600 से अधिक किसानों की जान जा चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार 3 कृषि कानून वापिस लेने या किसानों को समझा पाने में असफल रही है।
जिससे साफ हो रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसान विरोधी है। किसी भी कीमत पर कृषि कानूनों को वापस लेना ही नहीं चाहती है।
सतीश यादव ने कहा कि हरियाणा में एक और एमएसपी पर फसलों को खरीदने का सरकार दावा करती है। दूसरी ओर बाजरे का एमएसपी 2250 रुपए होने के बावजूद किसानों का बाजरा एमएसपी पर नही खरीदा जा रहा है।
आज किसानो का बाजरा मंडियो मे 1200 रूपए प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा है। इसके अतिरिक्त सरकार किसानों को ₹600 प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दे रही है।
मंडी में बाजरा बेचने और सरकार द्वारा मिलने वाली राहत राशि ₹600 के बावजूद किसानों को 500 क्विंटल का घाटा उठाकर अपने बाजरे को बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। सतीश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार अपने बिलो को किसानो के हितो का बताने का दावा तो करती है कि नया कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए होगा। किसान अपनी फसलों को देश में किसी भी स्थान पर बेच सकता है।
वहीं दूसरी ओर हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया कि राजस्थान का बाजरा अगर हरियाणा में बेचा गया तो उन किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
सतीश यादव ने कहा कि सरकार के इस आदेश से भाजपा का दोगला चरित्र सामने आ रहा है कि जो कृषि कानून बने हैं, वह किसानों के हित में नहीं है ,जिसका लगातार देश के किसान आंदोलन कर रहे हैं।
सतीश यादव ने कहा कि आज सरकार को किसानों की मांग पर तीनों कृषि कानून वापिस ले लेना चाहिए ताकि लंबे समय से चल रहा किसानों का आंदोलन समाप्त हो जाए।
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