Rewari News : अहीर कॉलेज की जमीन की रजिस्ट्री को लेकर विवाद गहराया, कॉलेज प्रबंधन सोसायटी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा



रेवाड़ी शहर के प्रतिष्ठित अहिर कॉलेज सोसायटी द्वारा पट्टे पर चल रही जमीन की खरीद के साथ ही रजिस्ट्री करवाने के बाद मामला गरमा गया है इसके साथ ही वार पलटवार का दौर भी शुरू हो गया है रविवार को जहां रेवाड़ी से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने प्रेस कॉन्फस कर जमीन की खरीद को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे. वहीं सोमवार को अहिर कॉलेज प्रबंधन सोसायटी की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा गया और विपक्ष द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि पट्टा नामा की शर्त पर जमीन खरीदी गई है. पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने दावा किया है कि अहिर कॉलेज की 200 करोड़ रुपए की जमीन को महज डेढ़ करोड़ में खरीद कर इसकी रजिस्ट्री की गई है जबकि 2025 तक इसे पट्टे पर दिया गया है तो इससे पहले इसकी रजिस्ट्री क्यों की गई. यहां हम आपको बता दें कि कॉलेज सोसायटी के नाम पर इसी साल जुलाई में रजिस्ट्री कराई गई है जमीन को बेचने के दस्तावेजों में साफ लिखा है कि वर्ष 1965 में 105 कनाल यानी 13.12 एकड़ जमीन को 90 साल के लिए पट्टे पर दिया गया था. विक्रेताओं में उषा देवी, तरुण कुमार व संजय कुमार शामिल है जिन्होंने कहा है कि उक्त जमीन को कोई खाली नहीं करा सकते अब हमें पैसों की जरूरत है जो कीमत हमें आज मिल रही है भविष्य में इसे ज्यादा कीमत मिलना मुश्किल है इस मामले में कॉलेज प्रबंधन सोसाइटी के सचिव खरीदार राव राघवद्र सिंह और गवाह एडवोकेट सचिन मालिक ने सोमवार को अहिर कॉलेज कैंपस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यह सभी आरोप निराधार है खरीदी गई जमीन पर पट्टा नामा के हिसाब से रजिस्ट्री की गई है और यह रजिस्ट्री जुलाई में की गई थी जो कागजात में मालिक है उन्हीं से नियम अनुसार जमीन खरीदी गई है अहिर कॉलेज सोसाइटी के सचिव राव राघवेंद्र सिंह और एडवोकेट सचिन मलिक ने कहा कि कैप्टन अजय यादव द्वारा लगाए गए सभी आरोप निराधार व राजनीति से प्रेरित है उन्होंने कहा कि कैप्टन द्वारा गलत तथ्यों के आधार बनाकर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई है अहिर कॉलेज सोसायटी 95 साल पट्टे पर चल रही थी. जिसका पट्टा वर्ष 2025 में समाप्त होना था. पट्टा खत्म होने से पहले इस संस्था का कोई मुकदमा आदि ना हो और कॉलेज संचालन में कोई बाधा खड़ी ना हो इन सब बातों को ध्यान में रखकर जमीन मालिकान से बातचीत में रजामंदी से जमीन की खरीद की गई और रजिस्ट्री की गई है उन्होंने बताया कि जमीन खरीद का सारा पैसा बैंक ट्रांजैक्शन द्वारा किया गया है रजिस्ट्री उन्हीं लोगों से कराई गई है जो कागजात माल में मालिक है वैसे भी यह जमीन संस्था के संस्था को पट्टा नामा की शर्त अनुसार और सस्ती मिल सकती थी परंतु संस्था में मुकदमें बाजी से बचते हुए एवं संस्था व शिक्षण संस्थान के हितों को ध्यान में रखते हुए इसे रजिस्ट्री कराकर प्राप्त किया गया है. 

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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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