ग्राम समाचार, जामताड़ा।अखंड सौभाग्यवती बने रहने की मंगलकामना को लेकर जिले के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में सुहागिन महिलाओं ने तीन दिवसीय हरितालिका व्रत की शुरुआत की। बुधवार को पहले दिन सुहागिन महिलाओं ने सुबह नदी, तालाब तथा अन्य जल स्त्रोतों में पवित्र स्नान कर जल स्रोतों में डुबकी लगाकर उठाए गए बालू से अपने घर में बालू से महादेव कथा पार्वती स्थापित कर भक्ति भाव से पूजा-अर्चना की। इसी प्रकार तीन दिवसीय पर्व के दूसरे दिन गुरुवार को सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रखेंगी। स्थापित महादेव, पार्वती की प्रतिमा की पांच वक्त पूजा अर्चना करेगी और सौभाग्यवती की कामना करेंगी।
तीसरे तथा अंतिम दिन शुक्रवार को अलसुबह स्थापित महादेव तथा पार्वती की प्रतिमा को विसर्जित तालाबों में किया जाएगा। मालूम हो कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। हरतालिका तीज व्रत का उत्तर भारत में विशेष महत्व है। इस व्रत में महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना करती हैं।
-- शास्त्रों में तीज का विशेष महत्व: पंडित आचार्य जयमंगल पांडे के मुताबिक हरतालिका तीज व्रत में मिट्टी से बनी शिव-पार्वती प्रतिमा का विधिवत पूजन किया जाता है। इसके साथ ही हरतालिका तीज व्रत कथा को सुना जाता है। मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं पति के दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखती है। कहते हैं कि एक बार व्रत रखने के बाद इस व्रत को जीवनभर रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत में कथा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है। इसलिए हरतालिका तीज व्रत रखने वाले सुहागिन महिलाओं को कथा जरूर सुननी या पढ़नी चाहिए।
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