Jamtara News:Hading : विकास के अंतिम पायदान पर खड़ा आदिवासियों के विकास का उपयुक्त अवसर विश्व आदिवासी दिवस है।

 


ग्राम समाचार, जामताड़ा।समाजिक संस्कृति के साथ मुख्यधारा से वंचित रह रहे आदिवासी बाहुल्य समाज को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। इस शुभ मुहूर्त को समाज के सभी लोग एक मंच पर एकत्रित होते हैं और समाज के विकास की दशा दिशा बढ़ाने का प्रयास करते हैं। झारखंड प्रदेश में 26 फ़ीसदी यानि 80 लाख आबादी आदिवासी समुदाय की है इतनी अधिक आबादी रहने के बावजूद यह समाज अपने संस्कृति सभ्यता एवं अस्तित्व की पहचान बचाने को संघर्षरत है। इस समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य में कई विशेष योजनाओं का क्रियान्वयन शुरू की है, आवश्यकता है सरकारी पहल के साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी समाज के अंतिम पायदान के व्यक्तियों को अस्तित्व में लाने का प्रयास करें। उक्त बातें सोमवार को गांधी मैदान में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह एवं सिद्धू कान्हू मुर्मू प्रतिमा अनावरण समारोह को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने कहा। आगे कहा कि देश में आदिवासी की आबादी इतनी अधिक होने के बावजूद भी अब तक जातिगत जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड को स्थान नहीं मिल पाया है। मुख्यमंत्री हेमंत सरकार के प्रयास से राज्य कैबिनेट में सरना धर्म कोड से संबंधित प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेज दिया गया है। उम्मीद है आगामी जनगणना में सरना धर्म कोड अंकित होगा इसी सर्वेक्षण से आकलन होगा कि देश में आदिवासी की आबादी कितनी अधिक है, जनगणना के उपरांत आबादी से समाज को अपने शक्ति का एहसास होगा। आबादी के अनुरूप समाज हित में सशक्त सुदृढ़ आंदोलन के तहत आदिवासियों की दशा दिशा बदलेगी। कई वर्ग के लोग अभी भी विकास के मुख्य धारा से पिछड़े हुए हैं। ऐसे सभी वर्ग के पिछड़े लोगों का संतुलित विकास होना चाहिए। विश्व आदिवासी दिवस अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को विकास से लाभान्वित कराने को संकल्प लेने का उपयुक्त अवसर विश्व आदिवासी दिवस है। मौके पर पुलिस अधीक्षक दीपक कुमार सिन्हा ने कहा आदिवासियों की सभ्यता एवं संस्कृति पर्यावरण संरक्षण एवं महिला सम्मान को प्रेरित करने वाला है। झारखंड प्रदेश के 13 14 जिले में आदिवासी बहुल संख्या है। महिला प्रताड़ना महिलाओं पर अत्याचार अपराधिक मामले आदिवासी बहुल समाज में नगण्य है। इनकी सभ्यता संस्कृति से लोगों को प्रेरणा लेने की जरूरत है। विभिन्न समाज में दहेज प्रथा का हो रहे व्यापक साम्राज्य से अब भी आदिवासी समाज स्वच्छ एवं स्वस्थ है। आदिवासी समाज में दहेज लेन-देन क्या कोई प्रावधान नहीं है। यह व्यवस्था भी अन्य समाज को प्रेरणा दे रही है।


             कार्यक्रम में उपस्थित लोग

एक साथ मिलकर सभी संकल्प लें और वंचित लोगों को मुख्यधारा तक लाया। इससे पूर्व सोमवार सुबह 7:00 बजे से सिद्धू कानू मुर्मू सेवा समिति के सौजन्य से आदिवासी रीति रिवाज में प्रतिमा स्थापित एवं प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कलश यात्रा के साथ पूजा अर्चना शुरू हुई। सिदो कान्हु मुर्मु अध्यक्ष  कार्यक्रम तीन सत्र में संपन्न हुई, सुबह 7:00 बजे से पहला चरण जिसमें सिदो कान्हु मुर्मू प्रतीमा छाटीयार काराम।सिदो कान्हु मुर्मू  के वंशज मान मंडल मुर्म,के अगुवाई में धर्म गुरु लश्कर सोरेन,काराम गुरु सितानात हांसदा, उनके टोली,नायके बाबा दिनेश मुर्मू,नारेनद्र मुर्मू, विष्णू मुर्मू, रामकिशोर मुर्मू,परेश मुर्मू एवं पांच नायके गोगो,10 कुवांरी कन्या,11 बालक की उपस्थिति में कलश यात्रा से शुरू होकर प्रतिमा छाटीयार काराम संपन्न हुई।

दोपह 12 बजे से मुख्य अतिथि  झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्र नाथ महतो, जामताड़ा के प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति में प्रतिमा अनावरण, पुस्तक लोकार्पण हुई। 

 दोपहर 2 वाजे से गांधी मैदान में विश्व आदिवासी दिवस समारोह शुरू हुई। कार्यक्रम का संचालन सिद्धू कानू मुर्मू सेवा समिति के अध्यक्ष आनंद टुडू के नेतृत्व में हुई। जिसमें मुख्य रूप से नन्दलाल सोरेन, श्यामलाल हेमरम, मनोरथ मरांडी, आन्दोलनकारी नैता सुनील कुमार बासके राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक शुशील मरांडी राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक प्रो आनन्द राज खालको चुनूलाल सोरेन अमिता टुडू आदि आपना उदगार व्यक्त करेंगे। इसके बाद आदिवासी कालाकार आपना काला प्रर्दशन किया।

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Editor - कौशल औझा, जामताड़ा (झारखंड)

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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