ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सौजन्य से तत्वावधान में गाजरघास को समाप्त करने हेतु जागरूकता सप्ताह 16 अगस्त से 22 अगस्त 2021 तक केवीके परिसर तथा विभिन्न गांवों में चलाया जायेगा। 16वां गाजरघास जागरूकता सप्ताह भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय,जबलपुर, मध्य प्रदेश से निर्देशित है। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने कहा कि गाजरघास को समाप्त करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम पिछले पांच साल से गोड्डा जिले के विभिन्न गांवों में चलाया जा चुका है जिसके परिणामस्वरूप कई गांवों में गाजरघास को समाप्त करने में सफलता पाई गई है। गाजरघास एक हानिकारक खरपतवार है इसके सम्पर्क में आने से मनुष्यों में त्वचा रोग, एक्जिमा, एलर्जी, बुखार दमा आदि बीमारियाँ हो जाती है। पशुओं के लिए भी यह खरपतवार अत्याधिक विषाक्त होता है। दुधारू पशु यदि गाजरघास को खा लेगी तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और दूध में कड़वाहट आ जाती है। सस्य वैज्ञानिक डाॅ0 अमितेश कुमार सिंह ने बताया कि गाजरघास एक विदेशी हानिकारक खरपतवार है। गाजरघास सड़क के किनारे, रेलवे लाईन के किनारे, खाली पड़े खेतों में, स्कूल, भवन, रहवासी क्षेत्रों, बगीचों, पार्कों में अत्यधिक मात्रा में उगता है। गाजरघास को समाप्त करने के लिए मेक्सिकन बीटल नामक कीट को वर्षा के मौसम में गाजरघास पर जैविकीय नियंत्रण के लिए छोड़ना चाहिए। खरपतवार नाशी मेट्रिब्यूजिन की 300 से 500 ग्राम मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर गाजरघास प्रभावित खेतों में छिड़काव करें। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ0 रितेश दुबे ने बताया कि वर्षा ऋतु में गाजरघास को फूल आने से पहले जड़ से उखाड़कर गड्डे में डालकर गोबर के साथ मिलाकर कम्पोस्ट एवं वर्मीकम्पोस्ट बनाना चाहिए। कम्पोस्ट बनाने पर गाजरघास की जीवित अवस्था में पाये जाने वाले विषाक्त रसायन "पार्थेनिन" का पूर्णत: विघटन हो जाता है।
Godda News: 16 अगस्त से 16 वा गाजर घास जागरूकता सप्ताह चलाया जाएगा
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सौजन्य से तत्वावधान में गाजरघास को समाप्त करने हेतु जागरूकता सप्ताह 16 अगस्त से 22 अगस्त 2021 तक केवीके परिसर तथा विभिन्न गांवों में चलाया जायेगा। 16वां गाजरघास जागरूकता सप्ताह भाकृअनुप-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय,जबलपुर, मध्य प्रदेश से निर्देशित है। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने कहा कि गाजरघास को समाप्त करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम पिछले पांच साल से गोड्डा जिले के विभिन्न गांवों में चलाया जा चुका है जिसके परिणामस्वरूप कई गांवों में गाजरघास को समाप्त करने में सफलता पाई गई है। गाजरघास एक हानिकारक खरपतवार है इसके सम्पर्क में आने से मनुष्यों में त्वचा रोग, एक्जिमा, एलर्जी, बुखार दमा आदि बीमारियाँ हो जाती है। पशुओं के लिए भी यह खरपतवार अत्याधिक विषाक्त होता है। दुधारू पशु यदि गाजरघास को खा लेगी तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और दूध में कड़वाहट आ जाती है। सस्य वैज्ञानिक डाॅ0 अमितेश कुमार सिंह ने बताया कि गाजरघास एक विदेशी हानिकारक खरपतवार है। गाजरघास सड़क के किनारे, रेलवे लाईन के किनारे, खाली पड़े खेतों में, स्कूल, भवन, रहवासी क्षेत्रों, बगीचों, पार्कों में अत्यधिक मात्रा में उगता है। गाजरघास को समाप्त करने के लिए मेक्सिकन बीटल नामक कीट को वर्षा के मौसम में गाजरघास पर जैविकीय नियंत्रण के लिए छोड़ना चाहिए। खरपतवार नाशी मेट्रिब्यूजिन की 300 से 500 ग्राम मात्रा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर गाजरघास प्रभावित खेतों में छिड़काव करें। कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ0 रितेश दुबे ने बताया कि वर्षा ऋतु में गाजरघास को फूल आने से पहले जड़ से उखाड़कर गड्डे में डालकर गोबर के साथ मिलाकर कम्पोस्ट एवं वर्मीकम्पोस्ट बनाना चाहिए। कम्पोस्ट बनाने पर गाजरघास की जीवित अवस्था में पाये जाने वाले विषाक्त रसायन "पार्थेनिन" का पूर्णत: विघटन हो जाता है।
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