BOARIJOR NEWS:VIDEO- आदिवासी रैयतों ने ECL में जमीन अधिग्रहण को लेकर बैठक में नहीं बनी सहमति, ईसीएल हेडक्वार्टर व प्रशासन लौटे बैरंग


ग्राम समाचार, बोआरीजोर ललमटिया (गोड्डा)। तालझारी,भेरंडा आदिवासी रैयतों के साथ लोंहडिया पंचायत भवन में बोआरीजोर अंचलाधिकारी, कार्यपालक दंडाधिकारी एंव ईसीएल हेड क्वाटर के आलाधिकरी से हुई बैठक में रैयतों ने ECL को जमीन नही देने से किया साफ इंकार।


राजमहल परियोजना को विस्तार के लिए आगे जमीन नहीं मिलने से कोयला उत्खनन में कमी आई है परियोजना बंद होने के कगार पर हैं। स्थानीय आदिवासी रैयतों राजमहल परियोजना को जमीन नहीं देना चाहते हैं तालझारी भेरंडा पहाड़ापुर रैयतों ने एसपीटी एक्ट के तहत ग्राम सभा में यह निर्णय ले चुका है कि ईसीएल को किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देंगे। रैयतों ने फरमान जारी करते हुए कहा ईसीएल द्वारा पूर्व में सीबी एक्ट के तहत ली गई जमीन को सीबी एक्ट कानून के तहत जमीन वापस करें इसके बाद ही हम सभी जमीनदाताओं से कोई वार्ता होगा।

बैठक में मुख्य रूप से बोआरीजोर अंचलाधिकारी सह बीडीओ धीरज प्रकाश, कार्यपालक दंडाधिकारी एयाज अहमद, ईसीएल हेड क्वार्टर सिकतोरीया से जी०एम० एलारी पीएचडे, सी०एस०आर० जी०एम० एमके सिंह, सिविल जी०एम० अभय कुमार, स्थानीय मुखिया सोहागिनी मरांडी एवं बोआरीजोर अंचल के कर्मचारी मौजूद रहे। बैठक में रैयतों के साथ समिति नहीं बनने से बैरंग लौटे अधिकारी नहीं बनी कोई सहमति। 

लगातार आदिवासी रैयतों ने ईसीएल को किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देने को लेकर सवैधानिक अधिकार के तहत संघर्ष करते आ रहे है। यह तस्वीर विगत 3 अगस्त 2021 का है  तालझरी भेरंडा के जमीनदाताओं ने अंचलाधिकारी कार्यालय बोआरीजोर पहुंचकर वंशावली निर्गत करने से विरोध प्रदर्शन कर लिखित आपत्ति जताया है। आदिवासी रैयतों का माग है किसी भी कीमत पर तालझारी के जमांबदी रैयतों का पारिवारिक सूची ईसीएल में नियोजन हेतु पारिवारिक संबंध सुची नहीं बनाने को लेकर अंचलाधिकारी को आपत्ति पत्र सौंपा गया है।

आप को बता दे पूर्व में ईसीएल द्वारा तालझारी के जमीन को काटने का प्रयास किया गया था यह तस्वीर जो आप देख रहे है 8 अक्टूबर 2020 का है। ईसीएल द्वारा तालझारी भेरंडा के जमीन में जबरन कोयला उत्खनन करने को लेकर जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन और ईसीएल मैनेजमेंट के लोग पहुंचे थे। वहीं आनन-फानन में आदिवासी पारंपरिक हथियार लैस के साथ एकत्रित हुए। स्थानीय गांव भेरंडा, हररखा,पहाड़पुर तालझारी गांव के आदिवासियों ने संविधान में निहित पांचवी अनुसूची के पारंपरिक रूढि व्यवस्था के तहत अपने जमीन को बचाने के लिए आड़े रहे। वही पुलिस प्रशासन और मैनेजमेंट के लोगों को बंधक बनाया, इसके बाद रैयतों से वार्ता कर ईसीएल को कोयला खनन पर रोक लगा दिया है।

वहीं जिला प्रशासन के ओर से कैंप लगाकर सुचना जारी किया गया है कि ईसीएल ललमटिया के द्वारा रैयती भूमि को सीबी एक्ट में अधिग्रहण की जा चुकी है मौजा भुगतान के लिए वंशावली अंचल कार्यालय बोआरीजोर से निर्गत करने का अधिसूचना जारी किया गया है। जिसको स्थानीय आदिवासी रैयत आक्रोश जता रहे हैं कि ग्राम सभा के माध्यम से पुर्व में जिला प्रशासन, राजपाल, मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया है इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं होना साफ तौर पर कहा जा सकता है कि संविधान में दिए गए संवैधानिक अधिकार एसपीटी एक्ट 1949 कानून का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

बैठक में उपस्थित भूस्वामी सह सामाजिक कार्यकर्ता रविलाल हेम्ब्रम ने एसपीटी एक्ट 1949 का हवाला देते हुए   ईसीएल हेड क्वार्टर अधिकारियों और जिला प्रशासन को चेताया कहा यहां पांचवी अनुसूची 1949 परंपरागत रूढ़िवादी व्यवस्था है। रविलाल हेम्ब्रम ने कहा झारखंड राज्य अनुसूचित क्षेत्र आदेश 2007 के तहत जिला के प्रखंड बोआरीजोर अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13(¡¡¡) (क) के तहत आदिवासी क्षेत्र अनुसूचित क्षेत्र में रूढ़ी व प्रथा को विधि बल प्राप्त है। उन्होंने कहा पांचवी अनुसूची के अनुच्छेद 244(¡), अनुसूचित क्षेत्र एवं अनुसूचित जनजाति के स्वशासन,प्रशासन व नियंत्रण का अधिकार है। संथाल परगना प्रमंडल में भूमि एवं उससे जुड़ी समस्या का समाधान के लिए यहां पर एसपीटी एक्ट 1949 के रूप में कठोर संवैधानिक प्रावधान है। उन्होंने कहा इसके तहत धारा 20 में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी संथाल आदिवासी रैयतों की जमाबंदी जमीन का हस्तांतरण या ट्रांसफर दूसरे को नहीं होगा। ना तो खरीद बिक्री के माध्यम से, ना तो दान से ना तो कोर्ट की किसी डीड से और ना ही अन्य विधि से यहां की जमीन का स्थानांतरण हो सकती है। साथ ही उन्होंने कहा एसपीटी एक्ट 1949 की धारा 72 में भी स्पष्ट प्रावधान है कि जमीन अधिग्रहण से संबंधित कोई भी केंद्रीय व  क्षेत्र कानूनों का एसपीटी एक्ट 1949 के तहत किसी भी धारा के साथ असंगत होगा  तो वैसी स्थिति में एसपीटी एक्ट 1949 की धारा ही मान्य होगी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में जिला प्रशासन व महाप्रबंधक से मांग रखा की ईसीएल कंपनी के उन अधिनियम कानूनों का दस्तावेज उपलब्ध करायें जिसके तहत ईसीएल कंपनी ने हमारे पूर्वजों से उनकी जामाबंदी जमीन अधिकृत किया हो। रैयतों का यह मांग भी है कि एसपीटी एक्ट 1949 का उन धाराओं की छाया प्रति उपलब्ध कराएं जिसमें अंचल अधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि परंपरागत ग्राम प्रधान(मांझी हाड़ाम)को ग्राम सभा करने के लिए आदेश देने की शक्ति निहित किया हो। जब ईसीएल व अंचला अधिकारी व कार्यपालक दंडाधिकारी को इस बैठक के संबंध में पूछा गया तो कैमरा में बताने से साफ इनकार किया।


                                -ग्राम समाचार(बोआरीजोर)गोड्डा।




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