पुस्तक - गूंगी रुलाई का कोरस
लेखक - रणेन्द्र
⚡ आज के भारत को समझने के लिए इस उपन्यास से बेहतर और कुछ नहीं।
⚡ यह उपन्यास साहस के साथ हमें आज के भारत की भयावह सच्चाईयों से रूबरू कराता है।
⚡ संगीत के बहाने समाज की चीर-फाड़।
⚡ पहले मुझे लगा कि यह उपन्यास संगीत पर केंद्रित है लेकिन जल्दी पता चल गया कि यह उपन्यास सिर्फ संगीत तक ही सीमित नहीं है। संगीत की पृष्ठभूमि में देश, काल एवं परिस्थिति का अद्भुत चित्रण है।
⚡ हिंदुस्तानी संगीत की विकास-यात्रा, धर्म, संप्रदाय, हिंसा की राजनीति, राष्ट्र-राष्ट्रवाद, अखबार, न्याय-न्यायपालिका, हिंदुत्ववादी ताकतें, पुलिस, ट्रोलर्स, स्पेशल टास्क फोर्स, जाति, धर्म, सोशल मीडिया, अमेरिकी-यूरोपीय नीतियां सब और उपन्यासकार की निगाह है। फलक व्यापक है।
⚡दिल और दिमाग पर गहरा असर करने वाला उपन्यास, जिसकी अनुगूंज लंबे समय तक सुनाई देगी। इसे पढ़ते हुए 'गूंगी रुलाई के कोरस' में अपने आंसुओं को भी शरीक पाया।
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