देश को आजाद कराने में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों को गुमनामी के अंधेरे से बाहर निकालने की लड़ाई लड़ रहे है रेवाड़ी निवासी श्रीभगवान फोगाट। मूल् रूप से चरखी दादरी जिले के गाँव ढाणी फौगाट के रहने वाले श्रीभगवान के पिता भी आजाद हिंद फौज में सिपाही थे. देश की आजादी में अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले आजाद हिंद फौज के शहीद सेनानियों को जो 75 साल बाद भी गुमनामी के अंधेरे में है। उन्हें हक दिलाने की लड़ाई लड़ रहे श्रीभगवान फोगाट जो स्वयं स्वतंत्रता सेनानी के बेटे हैं उन्होंने गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी को हक दिलाने के लिए बीड़ा उठाया हुआ है। बड़ी बात यह है कि उन्होंने नई दिल्ली स्थित संस्कृति मंत्रालय के राष्ट्रीय अभिलेखागार के कार्यालय से 225 शहीदों का रिकॉर्ड तलाश किया है जो 75 वर्षों से गुमनामी के अंधेरों में थे।
परिवार से लेकर देश तक को यह नहीं पता था कि देश पर जान निछावर करने वाला आखिर शहीद कौन है। द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना में भारतीय जवान शामिल थे। बाद में काफी जवानों ने ब्रिटिश सेना से बगावत कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए थे। आजाद हिंद फौज की तरफ से देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन कुछ जवानों को बाद में ब्रिटिश सेना की तरफ से लड़ते हुए शहीद होने का दावा किया था। लेकिन सच्चाई इससे परे है क्योंकि उनका रिकॉर्ड संस्कृति मंत्रालय के अभी लेखाकार कार्यालय में पाया गया है जिसमें उनका नाम आजाद हिंद फौज की सूची में शामिल था। श्रीभगवान फौगाट की यह पहल सराहनीय है. लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से स्वतंत्रता सेनानियों का रिकॉर्ड उनके परिवार जनों तक पहुंचाने के लिए उन्हें कम सहयोग मिल रहा है इन सबके पीछे श्रीभगवान का उद्देश्य उन शहीदों को उनका उचित मान सम्मान दिलाना है. और यह सब कार्य वे अपने ख़र्चे पर निःस्वार्थ भाव से कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने हज़ारो पोस्ट कार्ड खरीदकर पत्राचार भी किया है एक निज़ी कंपनी में काम करने वाले श्रीभगवान ने आजाद हिंद फौज के गुमनाम सिपाहियों का रिकॉर्ड ढूँढने के लिए अपने नंबर 9416882290 सार्वजनिक किये है जिस पर कॉल या मैसेज कर कोई भी अपने परिवार या स्वजनों का रिकॉर्ड तलाश करवा सकते हैं. साथ ही उन्होंने मीडिया से भी सहयोग की अपील की है जिसके माध्यम से रिकॉर्ड ढूंढने और उनके आश्रितों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी.
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