कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानो का आंदोलन सात महीने से जारी है। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान लगातार सभी बॉर्डर्स पर धरनारत है। दिल्ली-जयपुर नैशनल हाइवे-48 स्थित खेड़ा-शाजहांपुर बॉर्डर पर किसान 13 दिसंबर से आंदोलन रत है। दिल्ली संसद में मॉनसून सत्र के समकक्ष किसानो ने जंतर मंतर पर अपनी किसान संसद लगा रखी है। इस बीच 26 जनवरी की घटना के बाद धीमे पड़े किसान आंदोलन में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए किसान संगठनों से जुड़े नेता बॉर्डर्स पर जाकर किसानो का मनोबल बढ़ा रहे है। इसी कड़ी में शनिवार को किसान नेता राकेश टिकैत हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर स्थित रेवाड़ी के जयसिंह पुर खेड़ा बॉर्डर पर पहुंचे। यहाँ उन्होंने धरने पर बैठे किसानो को सम्बोधित किया और उनका हौसला बढ़ाया।
इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत की और सरकार पर जमकर निशाना साधा। राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन कितना भी लंबा चले किसान उसके लिए तैयार है। टिकैत ने कहा कि 35 महीने और किसान आंदोलन चलेगा जिसमे तीन बारिश, तीन सर्दी और तीन गर्मी और देखेंगे. केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी की बयान पर पलटवार करते हुए टिकैत ने कहा मंत्री तो सिर्फ बोलने वाली है लिखने वाला तो कोई और है चांदी के बर्तन में खाने वाले लोग किसानों को मवाली कहते है। राजनीति में चुनाव लड़ना संयुक्त मोर्चा का लक्ष्य नहीं है। किसान लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रख रहे है और इस किसान आंदोलन का समाधान सिर्फ सरकार के पास है। सरकार की सख्ती बरतने का इंतजार कर रहे है।
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