ग्राम समाचार,पाकुड़ ।नगर पालिका एक ऐसी संस्था है जो अपने अधीन है और उस पर स्वयं का नियंत्रण है, जिस पर दूसरे का शासन या नियंत्रण नहीं चलता ना हस्तक्षेप चलता है । 6 महीने से पाकुड़ शहर पानी की भीषण किल्लत से जूझ रहा है। नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं और शासन प्रशासन पर दोषारोपण करते आ रहे हैं। उपरोक्त बातें नलिन मिश्रा , कांग्रेस कमिटी के सोसल मीडिया कोऑर्डिनेटर ने कही। उन्होंने कहा कि इतिहास में नगर पालिका की ऐसी बदहाल स्थिति कभी देखने को नहीं मिली। जिसमें जनता को पिछले 6 महीने से पानी नसीब ना हुआ हो और पाकुड़ नगरपालिका चोर सिपाही का खेल खेल रही है।उन्होंने कहा कि एक सामान्य उदाहरण के तहत अगर आपके घर का सेप्टिक टैंक फुल हो गया हो और सफाई हेतु आप नगरपालिका जाते हैं तो वहां एक छपा हुआ कार्ड आपको पकड़ा दिया जाता है और साथ ही साथ यह भी बता दिया जाता है कि 5200 रुपए प्रति गाड़ी सफाई का खर्च आएगा। सामान्य तौर पर 3 गाड़ी तक मलवा निकलता है। तो क्या एक सेप्टिक टैंक साफ कराने के लिए 15600 रुपए की अदायगी जायज है!? शहर में दूसरे के अस्तित्व से खिलवाड़ कर सौंदर्यीकरण का खेल जोरों पर है। मगर मलवा उठाने के लिए गाड़ी, जो कि जनता की जरुरी आवश्यकता में शुमार है, को खरीदने पर कभी विचार तक नहीं किया गया है। यह जनमानस के साथ कैसा मजाक है? विगत 8 महीनों से ई-रिक्शा से 20 रुपए की अवैध वसूली की जा रही है। जिसका बंदोबस्ती में कोई जिक्र ही नहीं है। सोचने वाली बात यह है कि जिला मुख्यालय में यह वसूली कैसे चल रही है? विडंबना है कि इसमें कई निर्वाचित भी इन समस्याओं से प्रभावित हैं। मगर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। आखिर क्यों!? गरीब जनता को जो 1100 रुपए में 5000 लीटर पानी खरीदने के विवश हैं क्योंकि पानी के बगैर जीवन असंभव है। नगर परिषद ने इसे मुद्दा से भटकाने और जनता को गुमराह करने की बात कही है। कहा जनता सब जानती है।
ग्राम समाचार, पाकुड़ राजकुमार भगत की रिपोर्ट।
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