ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम के अन्तर्गत पोड़ैयाहाट प्रखंड के ग्राम दुलीडीह के प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की वैज्ञानिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने बताया कि मूंगफली की कादरी- 6 किस्म गुच्छेदार किस्म है। 'गरीबों का काजू' के नाम से मशहूर मूंगफली काजू से ज्य़ादा पौष्टिक है परन्तु मूंगफली खाने वाले यह नहीं जानते, मूंगफली में सभी पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। मूंगफली खाकर हम अनजाने में ही इतने पोषक तत्व ग्रहण कर लेते हैं जिन का हमारे शरीर को बहुत फायदा होता है| आधे मुट्ठी मूंगफली में 426 कैलोरीज़ होती हैं, 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है, 17 ग्राम प्रोटीन होता है और 35 ग्राम वसा होती है। इसमें विटामिन ई के और बी 6 भी प्रचूर मात्रा में होती है। यह आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जि़ंक का अच्छा स्रोत है। उद्यान वैज्ञानिक डाॅ0 हेमन्त कुमार चौरसिया ने कहा कि मूंगफली के बीज को लाईन से बुआई करने से खर-पतवार निकालने, उर्वरक एवं खाद देने तथा मिट्टी चढ़ाने में सुविधा होती है। किसानों को मूंगफली के बीज का उपचार बाविस्टीन से करके दिखाया गया। उन्होंने मूंगफली के 5 किग्रा. बीज में 10 ग्राम बाविस्टीन मिलाया तथा हल्का सा पानी छिड़क कर मिला दिया जिससे कि बाविस्टीन दवा बीज में आसानी से चिपक जाए। सस्य वैज्ञानिक डाॅ0 अमितेश कुमार सिंह ने बुआई से पूर्व मिट्टी की जाँच कराने के लिए मिट्टी का नमूना लेने की विधि पर प्रकाश डाला। मूंगफली की फसल की वृद्धि एवं विकास के लिए 30-35 डिग्री से.ग्रे. तापमान की आवश्यकता होती है। मूंगफली के बीज को 5 ग्राम ट्राईकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करके बोएं। ट्राईकोडर्मा से जैविक खाद तैयार करने की विधि भी बताई। मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 को कतार से कतार में लगाने की दूरी 30-45 सेमी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी. होती है। मूंगफली की खेती में निराई-गुड़ाई का बहुत अधिक महत्व है। हर 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई होना चाहिए। गुच्छेदार जातियों में मिट्टी चढ़ाना लाभदायक है। मूंगफली की फसल में 4 वृद्धि अवस्थाएं क्रमशः प्रारंभिक वानस्पतिक वृद्धि अवस्था, फूल बनना, अधिकीलन (पैगिंग) व फली बनने की अवस्था सिंचाई के प्रति अति संवेदनशील है। खेत में अवश्यकता से अधिक जल को तुरंत बाहर निकाल देना चाहिए अन्यथा वृद्धि व उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 का बीज एवं मूंगफली की वैज्ञानिक खेती पुस्तिका उपलब्ध कराया गया। मौके पर डाॅ0सतीश कुमार, डाॅ0 सूर्यभूषण, डाॅ0 प्रगतिका मिश्रा, डाॅ0 रितेश दुबे, राकेश रोशन कुमार सिंह, सुमित्रा देवी, जावा देवी, सकीना बीबी, रूबिया देवी, जोहन मरांडी, बिट्टू भगत, उपेन्द्र राय, नूर नबी आदि प्रगतिशील किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
Godda News: पोड़ैयाहाट के दुल्लीडीह में मूंगफली की खेती का प्रशिक्षण दिया गया
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन कार्यक्रम के अन्तर्गत पोड़ैयाहाट प्रखंड के ग्राम दुलीडीह के प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की वैज्ञानिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया। वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ0 रविशंकर ने बताया कि मूंगफली की कादरी- 6 किस्म गुच्छेदार किस्म है। 'गरीबों का काजू' के नाम से मशहूर मूंगफली काजू से ज्य़ादा पौष्टिक है परन्तु मूंगफली खाने वाले यह नहीं जानते, मूंगफली में सभी पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। मूंगफली खाकर हम अनजाने में ही इतने पोषक तत्व ग्रहण कर लेते हैं जिन का हमारे शरीर को बहुत फायदा होता है| आधे मुट्ठी मूंगफली में 426 कैलोरीज़ होती हैं, 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है, 17 ग्राम प्रोटीन होता है और 35 ग्राम वसा होती है। इसमें विटामिन ई के और बी 6 भी प्रचूर मात्रा में होती है। यह आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जि़ंक का अच्छा स्रोत है। उद्यान वैज्ञानिक डाॅ0 हेमन्त कुमार चौरसिया ने कहा कि मूंगफली के बीज को लाईन से बुआई करने से खर-पतवार निकालने, उर्वरक एवं खाद देने तथा मिट्टी चढ़ाने में सुविधा होती है। किसानों को मूंगफली के बीज का उपचार बाविस्टीन से करके दिखाया गया। उन्होंने मूंगफली के 5 किग्रा. बीज में 10 ग्राम बाविस्टीन मिलाया तथा हल्का सा पानी छिड़क कर मिला दिया जिससे कि बाविस्टीन दवा बीज में आसानी से चिपक जाए। सस्य वैज्ञानिक डाॅ0 अमितेश कुमार सिंह ने बुआई से पूर्व मिट्टी की जाँच कराने के लिए मिट्टी का नमूना लेने की विधि पर प्रकाश डाला। मूंगफली की फसल की वृद्धि एवं विकास के लिए 30-35 डिग्री से.ग्रे. तापमान की आवश्यकता होती है। मूंगफली के बीज को 5 ग्राम ट्राईकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करके बोएं। ट्राईकोडर्मा से जैविक खाद तैयार करने की विधि भी बताई। मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 को कतार से कतार में लगाने की दूरी 30-45 सेमी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेमी. होती है। मूंगफली की खेती में निराई-गुड़ाई का बहुत अधिक महत्व है। हर 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई होना चाहिए। गुच्छेदार जातियों में मिट्टी चढ़ाना लाभदायक है। मूंगफली की फसल में 4 वृद्धि अवस्थाएं क्रमशः प्रारंभिक वानस्पतिक वृद्धि अवस्था, फूल बनना, अधिकीलन (पैगिंग) व फली बनने की अवस्था सिंचाई के प्रति अति संवेदनशील है। खेत में अवश्यकता से अधिक जल को तुरंत बाहर निकाल देना चाहिए अन्यथा वृद्धि व उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रगतिशील किसानों को मूंगफली की प्रजाति कादरी-6 का बीज एवं मूंगफली की वैज्ञानिक खेती पुस्तिका उपलब्ध कराया गया। मौके पर डाॅ0सतीश कुमार, डाॅ0 सूर्यभूषण, डाॅ0 प्रगतिका मिश्रा, डाॅ0 रितेश दुबे, राकेश रोशन कुमार सिंह, सुमित्रा देवी, जावा देवी, सकीना बीबी, रूबिया देवी, जोहन मरांडी, बिट्टू भगत, उपेन्द्र राय, नूर नबी आदि प्रगतिशील किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
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