ग्राम समाचार,चांदन,बांका। ज्ञान भवन करवामारन। बिहार लोक मंच एवं अम्बेडकर युवा मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मौन बैठक में दलित मुक्ति मिशन के निदेशक महेंद्र कुमार रौशन ने अपने सम्बोधन में बताया कि मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की मौत का जिम्मेवार कौन है? आखिर क्या दोष था उनका ? यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है, की जो लोग गरीबों - मज़लूमों की आवाज बनें उसे देशद्रोही, उग्रवादि तथा माओवादी करार दे दिया जाता है। बताते चले कि फादर स्टेन स्वामी लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आजीवन लड़ाई लड़ते रहे। और संवैधानिक रूप से हक-अधिकार की मांग करने के एवज में सरकार 84 वर्षीय एक सामाजिक कार्यकर्ता से इतना डर गई कि बीमार तथा एक
हाथ से अपंग बुजुर्ग व्यक्ति को जेल में भी बेरी लगाकर रखा गया उन्हें प्रताड़ित की गई। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि दलित-आदिवासी तथा वंचित समुदाय के लोगों के पक्ष में बोलते रहे हैं, लिखते रहे हैं। वे तमिलनाडु के त्रिची जिला के एक छोटा सा गाँव विरागलूर के रहने वाले थे। वे साधारण जीवन से खुश थे। कभी अपने नाम पर बैंक खाता तक नहीं रखा। पूरा जीवन आदिवासियों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उनके परिजनों का कहना है, कि उनपर माओवादी कनेक्शन का मनगढ़ंत आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया था। स्टेन स्वामी को केवल
एक चीज की परवाह थी, जिसके लिये उन्होंने जीवन समर्पित कर दिया। वो था आदिवासियों का कल्याण। बैठक में फादर स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि दी गई और उनके सहादत से मर्माहत लोगों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता विसुंदेव दास, अम्बेडकर युवा मंच के सदस्य विकास कुमार, सुमन कुमार, लोकमंच से सुनीता देवी तथा करवामारन गाँव के लगभग 45 लोग शामिल हुए और फादर स्वामी को याद किया।
उमाकांत साह,ग्राम समाचार संवाददाता,चांदन।
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