रेवाड़ी के बावल औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक निजी कंपनी से 165 महिला कर्मचारियों को कंपनी से निकालने के मामले में महिला कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। महिला कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और मनमानी व अड़ियल रवैया अपनाने का आरोप लगाया। कंपनि की ओर से गेट बंद कर दिया गया अंदर जाने से कंपनी वालों ने मना कर दिया उसको लेकर महिला कर्मचारीओं ने धरना प्रदर्शन किया है। दिन की तेज़ में महिला कर्मचारी कंपनी के गेट पर छाता लेकर बैठी हुई थी। हालाँकि आज गुरुग्राम में श्रम कार्यालय में दोनों पक्षों की बैठक बुलाई गई है जिसके बाद साफ होगा कि कंपनी प्रबंधन उनकी बात मानता है या फिर उनका धरना प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा।
Rewari News : बावल की एक निजी कंपनी में सेटलमेंट पॉलिसी के चलते महिला कर्मचारीयो का धरना-प्रदर्शन आज दूसरे दिन भी जारी रहा
महिला कर्मचारी शर्मीला देवी का कहना है कि सेटेलमेंट पॉलिसी के तहत उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और सेटेलमेंट पॉलिसी के तहत फार्म पर साइन करवाने के लिए कहा गया था और कंपनी प्रबंधन की और से कहा गया था कि हमारी मर्जी से काम करना होगा यहां हम कहेंगे वैसे ही काम करना होगा। जिसका विरोध करने पर उन्हें अंदर आने से रोका गया और कंपनी का गेट बंद कर दिया गया। कंपनी के बाहर सुरक्षा की दृष्टी से पुलिस भी मौजूद रही। तेज धुप में महिला कर्मी छाता लेकर कंपनी गेट पर बैठी है उन्हें अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है क्या प्राइवेट सेक्टर की इतनी तानाशाही चलेगी इसको देखना अभी बाकी है महिलाएं आरोप लगा रही है और धरने पर बैठी हुई हैै मनमानी के खिलाफ उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
महिला कर्मी शर्मीला के पति तेज बहादुर ने कहा कि कल जब महिला कर्मी ड्यूटी पर आयी तो उनसे किसी फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया साइन न करने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। तेज बहादुर ने कहा कि वैसे तो सरकार और प्रशासन महिला सुरक्षा और बेटी बचाओ के नारे देते है लेकिन यहाँ इन महिला कर्मियों के लिए शौचालय ओर पानी तक की भी व्यवस्था नहीं की गई है। बाइट : तेज बहादुर : महिला कर्मी शर्मीला के पति।
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन के प्रधान श्याममूर्ति ने कहा कि सेटेलमेंट का मुद्दा सभी कंपनियों में अटके पड़े है कंपनीयो की और से श्रम कानूनों समेत सभी नियम कानूनों की अवहेलना की जा रही है। जिस कारण श्रमिकों को अपने अधिकारों के लिए सड़को पर उतरना पड़ता है।
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