ग्राम समाचार,चांदन,बांका।
हिंदू मुस्लिम एकता एवं विश्वशांति के प्रति अजमेर शरीफ में उर्स शुरू हो गई है आपसी भाईचारे की सबसे बड़ी पहचान यह है कि महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चढ़ाए जाने वाले फूल पुष्कर से आते हैं तो पुष्कर पर चढ़ाई जाने वाली पूजा सामग्री की खिले दरगाह ख्वाजा साहब के बाजार से ही जाती है आपसी भाईचारे की इससे अधिक अच्छीऔर मिसाल क्या हो सकती है।ख्वाजा साहब ने अपना मुकाम सूफी मत का प्रचार किया सूफी मत का खूबी है कि आपस में भाईचारे की तालीम
लोगों को दें। सुफी सब दूसरे बड़े साधु संतों ने जो दुनिया को तालीम दी उसमें सबसे पहले यह बात आती है कि तुम किसी को मजहब को बुरा मत कहो। हर मजहब का आदर करो यदि तुम अपने मजहब का आदर करना चाहते हैं तो दूसरे मजहब का आदर करना सीखो मकसद है सूफियों का ? ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने लिखा है कि मैं 20 वर्ष तक ख्वाजा साहब की खिदमत में हाजिर रहा लेकिन मैंने कभी उनको अपनी सेहत स्वास्थ्य के लिए दुआ मांगते नहीं देखा जब कभी दुआ मांगते तो दर्द की दुआ मांगते एक बार मैंने पूछा हुजूर आप क्या दुआ मांगा करते हैं तो ख्वाजा साहब ने जवाब दिया दर्द से ही ईमान पैदा
होता है और गुनाहों से इंसान ऐसा पार्क हो जाता है जैसे अभी पैदा हुआ हो। इन्हीं यादों के साथ प्रखंड चांदन के कई मुस्लिम के गांव के साथ-साथ चान्दन पंचायत में नूरी मस्जिद एवं जमा मस्जिद के सदर रूप शाम शेख एवं माशूक आलम के साथ साथ सभी अकीदत मन लौगो ने ख्वाजा गरीब नवाज की होने वाली उर्स के मौके पर उनकी यादों में डेग एवं फतिया खानी का एहतमाम किया गया जिस मौके पर दोनों मस्जिद के इमाम वो जमाल अंसारी जुल्फिकार शेख ,वसीम अंसारी ,वसीम शेख,यासिन अंसारी वो सलीम शेख वो चंदन कुमार सिन्हा के अलावा गांव के सभी लोग फतिहि खानि में शरीक होकर उर्स के मौके पर खुशियां मनाएं।
उमाकांत साह, ग्राम समाचार संवाददाता,चांदन,बांका।
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