ग्राम समाचार,बौंसी,बांका.
515 वर्षों का इतिहास सॅजोये खड़ा है फागा सरस्वती माता मंदिर. चैतन्य महाप्रभु के नेत्र ज्योति पतन स्थल पर बना है यह मंदिर. महात्मा भोली बाबा की अराध्य देवी है माता शारदा . मंदार क्षेत्र के कण कण में विभिन्न देव देवियाॅ वास करती हैं. यह तीर्थ क्षेत्र भगवान मधुसूदन की आस्था से जुड़ा है. यह मधुसूदन धाम भारत के 12 विष्णु तीर्थों में से एक है. सैंकड़ों हजारों वर्षों से साधु संतों का पदार्पण इस पावन धाम में होते रहा है, 1505 ई में पिता के श्राद्धकर्म से निवृत होकर गया से सीधे मंदार आये थे. मंदार के शोध लेखक मनोज कुमार मिश्र ने अपने शोध में लिखा है कि, एक माह रूककर वे पैदल संकीर्तन करते हुये बैजनाथ धाम तक गये थे. फागा
गाॅव में उनकी टोली रूकी. प्रभु आवेशावतार में आये और धीरे धीरे उनके नेत्रों से अविरल अश्रु प्रवाहित होने लगे. वे प्रेम से हरि बोल का जयघोष करने लगे. उनके नेत्रों से कुछ बूॅदें धरा पर टपक पड़े और उन्होंने ग्रामीणों के समक्ष भविष्यवाणी की कि मेरे बाद इस भूमि पर सरस्वती के वरद पुत्र अवतरित होंगे जो धर्म की पताका लहरायेगा. कुछ महीनों के बाद मैथिल ब्राह्मणों ने वहाॅ पर मिट्टी और खपरैल से एक मंदिर का निर्माण किया और सरस्वती माता की पूजा प्रारंभ कर दी.
तबसे इस मंदिर में धूमधाम से मूर्ति स्थापित कर पूजन अर्चन की जाने लगी.
अब तो जनसहयोग से माॅ का मंदिर पक्के में परिवर्तित कर दी गयी. इस उपलक्ष में तीन दिनों तक मेले का आयोजन होता है जहाॅ विभिन्न प्रकार के खेल तमाशे वाले आते हैं.
कुमार चंदन, ग्राम समाचार संवाददाता, बौंसी.
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