ग्राम समाचार, बौंसी, बांका।
आज महात्मा गांधी के नाम से जानी जाने वाली गांधी टोपी का प्रयोग धीरे-धीरे बीते दिनों की कहानी बनती जा रही है। स्वाधीनता और गणतंत्र दिवस में झंडोत्तोलन के अवसर पर ही गांधी टोपी देखने को मिलती है। आज केवल कांग्रेस, सेवादल के कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी की गांधी टोपी का इस्तेमाल करते हैं। वहीं कुछ गांधी विचार से जुड़े बुजुर्ग ही गांधी टोपी का उपयोग करते हैं। खादी ग्रामोद्योग संघ से जुड़े कुछ लोगों
का कहना है कि, गांधी टोपी की बिक्री का आलम यह है कि, 2 दिनों में महज 25 रुपये की एक टोपी दुकान से निकल जाए तो गनीमत है। इनका यह भी मानना है कि, गांधी टोपी पहनने का प्रचलन लुप्त प्रायः हो चुका है। खादी भंडार वाले बताते हैं की, स्वतंत्रता दिवस जितनी टोपी की बिक्री होती है। उतनी साल भर में भी नहीं हो पाती है। अकेले इस दिन करीब 250 टोपियों की बिक्री हो जाती है। आज के नेताओं में गांधी टोपी का कोई महत्व नहीं रह गया है। नेताओं का लिबास अब कुछ और है। महंगे कपड़े और महंगी गाड़ियां उनका शगल है। अपने आप को
देशभक्त कहने वाले नेतागण को गांधी टोपी का ऐतिहासिक महत्व शायद ही मालूम हो। एक वृद्ध स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने कभी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था, का दृष्टिकोण है कि, वर्तमान समय की गंदी राजनीति ने नेताओं के चरित्र पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। जिस कारण आज गांधी टोपी पहनने वाले को जनता कुछ और ही नजरिए से देखते हैं। खादी भंडार के बिक्री काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों का कहना है कि, आज गांधी टोपी कला केंद्र से जुड़े, फिल्मों से जुड़े कलाकार, नाटकों नुक्कड़ों में इसका प्रयोग करने के लिए इसे खरीदते हैं। खासकर इंग्लिश
मीडियम के स्कूलों में आयोजित होने वाले नाटकों में देशभक्त नेता या स्वतंत्रता सेनानी के भूमिका को निभाने के लिए कलाकार गांधी टोपी की मांग करते हैं। वर्तमान समय में गांधी की प्रासंगिकता एक ऐसा सवाल है, जो सरल होते हुए भी हल होना मुश्किल हो रहा है। गांधी टोपी हमें गांधी की यादों से जोड़े रखता है। चुकी गांधी एक महा अवतार थे। उनके पद चिन्ह पर चलना ही हम भारतीयों का कर्तव्य है।
(साभार: मदन मेहरा वरिष्ठ समाजसेवी।)
कुमार चंदन, ग्राम समाचार संवाददाता, बौंसी।
Editor -
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)
ग्राम समाचार से आप सीधे जुड़ सकते हैं-
Whatsaap Number -8800256688
E-mail - gramsamachar@gmail.com
* ग्राम समाचार के "खबर से असर तक" के राष्ट्र निर्माण अभियान में सहयोग करें। ग्राम समाचार एक गैर-लाभकारी संगठन है, हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें।
- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें