ग्राम समाचार, अररिया। भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित अररिया जिला के फारबिसगंज अनुमंडल में न केवल जमीन माफिया सक्रिय हैं, बल्कि उनके हौसले इतने बुलंद है कि फर्जी तरीके से जमीन निबंधित कराकर सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने से भी गुरेज नहीं करते। बार-बार तिकड़मबाजी में जमीन की खरीददारी कर न केवल सामाजिक तानाबाना को तोड़ रहे हैं। सरकारी अधिकारियों और निबंधन कार्यालय के कर्मचारियों से अवैध साठगांठ कर न केवल सरकारी सम्पत्ति वाली जमीन की खरीददारी कर रहे हैं, बल्कि क्षति कर पैसों के बल पर साफगोई से बच जा रहे हैं। आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के बावजूद इन भू-माफियाओं के गिरेबां में हाथ तक डालने से अधिकारी हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। ताजातरीन मामला फारबिसगंज प्रखण्ड-सह-अंचल कार्यालय और एसडीएम आवास के सामने वर्षों से बने सरकारी स्कूल भवन राजकीय मध्य विद्यालय करबला धत्ता को तोड़े जाने से है।
जिसे जमीन माफियाओं ने गलत तरीके से ट्रस्ट की ओर से स्कूल निर्माण के लिए गये जमीन पर सरकारी स्कूल भवन को रातोंरात जेसीबी मशीन की सहायता से तोड़ दिया। हालांकि मामले के संज्ञान में आने के बाद ग्रामीणों के विरोध पर आनन-फानन में एसडीएम सुरेन्द्र कुमार अलबेला ने उसी दिन जांच कराने और दोषियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था और फिर अररिया डीएम प्रशांत सीएच के निर्देश पर जांच के लिए अपर समाहर्ता अनिल कुमार ठाकुर की अगुवाई में छह सदस्यीय जांच टीम भी गठित की गयी। जांच टीम की ओर से जांच भी शुरू भी की की गयी, लेकिन जांच पर सही और मूलरूप से दोषी माफियाओं और सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों पर कार्रवाई भी होगी, यह सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि पूर्व में भी जमीन माफियाओं ने पूर्णिया गजट में शामिल सीताधार नदी की बिक्री समेत कई सामाजिक तानाबाना तोड़े जाने वाले कृत्य को अंजाम देने के बाद बेदाग बच निकले हैं। गौरतलब हो कि दो दिन पहले रात के पहर में प्रखण्ड कार्यालय के सामने स्थित राजकीय मध्य विद्यालय करबला धत्ता के दो मंजिला सरकारी भवन को जमीन माफियाओं ने जेसीबी से ध्वस्त कर उसे जमींदोज कर दिया। आठ कमरों वाला दो मंजिला मकान पूरी तरह से मलबे में ढेर हो गया। जमीन माफियाओं के बुलंद हौसलों की दाद देनी होगी कि एसडीएम आवास सहित बीडीओ एवं अन्य अधिकारियों सरकारी कर्मचारियों के सामने वाली जमीन पर बने सरकारी भवन को जमींदोज करने में थोड़ी सी भी हिचक नहीं हुई।
सुबह में जब ग्रामीणों ने इस कृत्य का विरोध किया तो अधिकारियों की नींद टूटी और फिर जांच और कार्रवाई का तत्काल आश्वासन मिला। सरकारी भवन को तोड़े जाने की जानकारी माफियाओं ने न तो अधिकारियों को ही दिया था और न ही विद्यालय प्रबंधन को। पूरे प्रकरण में निबंधन कार्यालय और कर्मचारी भी कठघरे में हैं कि आखिरकार बिना स्पॉट वेरिफिकेशन के जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई और मामले में जो दो एफआईआर दर्ज किये गये उसमें इस बात का जिक्र क्यों नहीं किया गया। रजिस्ट्रार देवेन्द्र कुमार ने आखिर किस आधार पर जमीन का निबंधन कर दिया। पूरे प्रकरण में एक बात स्पष्ट है कि निबंधन कार्यालय के कर्मचारी और अधिकारी बिना किसी सरकारी प्रावधान और औपचारिकता पूरी किये बिना जमीन का निबंधन कर रहे हैं, जो जांच का विषय है। जमीन के खरीददार बलराम साह और जमीन के बिक्रीनामा में पहचानकर्ता बने गोपाल अग्रवाल पहले से ही जमीन के कारोबार से जुड़े हैं। इतना ही नहीं सरकारी भवन को तोड़े जाने के इस प्रकरण में शामिल लोग न केवल राजनीतिक दल से सम्बन्ध रखते हैं, बल्कि सियासत से जुड़े शख्सियतों से भी ताल्लुकात रखते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भीमराज पेड़ीवाल चेरिटेबल ट्रस्ट के 56 डिसमिल जमीन पर स्कूल का भवन बना हुआ था। भीमराज पेड़ीवाल चेरिटेबल ट्रस्ट की जमीन में से 28 डिसमिल जमीन हेमलता सोमानी के पुत्र प्रदीप सोमानी ने अपने माता के पावर से बलराम सह को 24 दिसम्बर को बिक्री कर दिया था। जिसका जमाबंदी संख्या 234 थी और इसका दाखिल-खारिज भी नहीं हुआ। बावजूद जमीन माफियाओं के बुलंद हौसलों ने स्थल पर पहुँच कर रातों-रात सरकारी भवन को जेसीबी की सहायता से जमींदोज कर दिया। ग्रामीणों के शिकायत के बाद मौके पर पहुँचे एसडीएम सुरेंद्र कुमार अलबेला ने ग्रामीणों को कार्रवाई के साथ एक-एक ईंट का पैसा वसूली करने का आश्वासन दिया। डीएम ने भी मामले को संज्ञान में लिया है, लेकिन इससे पहले सीताधार की जमीन बिक्री कर पानी के प्रवाह को रोक देने के कारण हरेक साल बाढ़ की विभीषिका झेलने के मामले में अब तक ठोस कार्रवाई नहीं होने से शहरवासी सशंकित है।
अररिया से राहुल कुमार ठाकुर की रिपोर्ट
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