भ्रमण के क्रम में डॉ.सिंह ने बताया कि झारखंड के राजमहल पहाड़ियों में मिलने वाले जीवाश्म विश्व के अति दुर्लभ प्रजातियों के हैं।राजमहल क्षेत्र में मिलने वाले फॉसिल्स ऐतिहासिक धरोहर व पुरातत्व अवशेषों का भरमार है। साहिबगंज राजमहल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एवं आर्थिक शैक्षणिक शोध के क्षेत्र में अति पिछड़ा हुआ है।यहाँ के पर्यटन स्थलों का विकास, पहाड़ों का संरक्षण व संवर्धन शोध का केंद्र बनाकर ही आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
वहीं डॉ.विश्वास ने कहा कि राज्य सरकार व जिला प्रशासन साहिबगंज जिले के लिए म्यूजियम, शोध केंद्र, पर्यटन विभाग का केंद्र बनाएं,ताकि यहां के युवाओं को यहां के छात्रों को यहां के आम नागरिको को वैज्ञानिकों शोधकर्ताओं के लिए एक मिसाल कायम हो सके और शैक्षणिक शोध के क्षेत्र में एक अलग पहचान मिल सके।उन्होंने कहा कि जिले की धरोहरों की सुरक्षा व विकास राजमहल की पहाड़ियों में मिलने वाले फॉसिल्स पर शोध करने के लिए साहिबगंज में शोध केंद्र निर्माण से ही संभव है।
साहेबगज जिले के विभिन्न स्थलों का नाम बोर्ड एरो,दूरी होडिंग एवं जानकारी संबंधित स्थलों का नाम लिखा रहना चाहिए ताकि बाहर से आने वाले सैलानियों,पर्यटकों व वैज्ञानिकों के लिए सुविधाजनक हो सके।
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