Ranchi News: मुख्यमंत्री ने ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा बैठक की

 ्ग्राम समाचार रांची, ब्यूरो रिपोर्ट:-    मनरेगा एक बहुआयामी योजना है, जिसके अंतर्गत रोजगार, आवास, पेयजल, महिला सशक्तिकरण, सिंचाई, सड़क, पौधरोपण इत्यादि से संबंधित कई योजनाओं का संचालन हो रहा है. मनरेगा कई योजनाओं का समेकित स्वरूप है. इस योजना से ग्रामीण इलाके की एक बड़ी आबादी को फायदा पहुंचाया जा सकता है. ऐसे में मनरेगा से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर और योजनाबद्ध तरीके से होना चाहिए. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा बैठक में ये निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत मानव दिवस सृजित करने पर ज्यादा फोकस हो, ताकि ग्रामीण इलाके में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मनरेगा के तहत मजदूरी दर अभी भी न्यूनतम मजदूरी दर से कम है. मनरेगा श्रमिकों को प्रति दिन 194 रुपए मजदूरी मिलती है, जबकि राज्य में न्यूनतम मजदूरी दर 283 रुपए है. ऐसे में इस अंतर को कम करने के लिए मनरेगा मजदूरी दर मे बढ़ोत्तरी जरूरी है. इस बाबत केंद्र सरकार से सहमति लेने की दिशा में विभाग कदम उठाए.

मुख्यमंत्री को विभाग की ओर से बताया गया कि मनरेगा के तहत वर्ष 2020-21 में ली गई नीलांबर पीताबंर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद हो खेल विकास योजना और दीदी बाड़ी योजना का बेहतर रिजल्ट रहा है. नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत एक लाख हेक्टेयर लक्ष्य रखा गया था, जबकि उपलब्धि 1.94 लाख हेक्टेयर में योजना का क्रियान्वयन हुआ. वहीं, बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 20 हजार एकड़ की तुलना में 26 हजार एकड़, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना के तरह एक हजार मैदान विकसित करने का लक्ष्य था, जबकि 1881 खेल मैदान बनाए जा चुके हैं. वहीं दीदी बाड़ी योजना के तहत पांच लाख पोषण वाटिका बनाने का लक्ष्य रखा गया है. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत एक लाख पेड़ लगाने का लक्ष्य निर्धारित करें. इसके लिए गैर मजरुआ जमीन का भी इस्तेमाल किया जाए. उन्होंने कहा कि पहले चरण में जिलास्तर पर नर्सरी बनाने की दिशा में भी विभाग द्वारा पहल शुरू की जाए. इसके साथ हर गांव में कटहल के कम से कम दस पेड़ लगाए जाएं. दीदीबाड़ी योजना के तहत स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों मे पो षण वाटिका लगाने का काम सुनिश्चित किया जाए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत बनने वाले घरों की संरचना में बदलाव लाने की दिशा में विभाग कदम उठाए. उन्होंने ने कहा कि गांवों में बनने वाले आवासों में एकरुपता लाने के लिए इन मकानों में खपड़े का इस्तेमाल किया जाए. इससे आवास निर्माण की लागत में कमी आएगी औप कुम्हारों को रोजगार के साथ राज्य में बैंबू फार्मिंग को भी बढ़ावा मिलेगा.ने

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित घरों में बिजली कनेक्शन देने के लिए ऊर्जा विभाग और पेयजल के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से समन्वय बनाया जाए. हर घर में ये दोनों सुविधाएं हर हाल में उपलब्ध होनी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में सभी को आवास सुनिश्चित कराना प्राथमिकता है. ऐसे में अभी तक जिनका आवास नहीं है, उसकी जानकारी लेने के लिए सर्वे कराया जाए और फिर उन्हें आवास आवंटित करने की दिशा में कार्रवाई की जाए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इन सभी योजनाओं का अलग-अलग डैश बोर्ड बनाया जाए. डैशबोर्ड पर योजनाओं की पूरी जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं की एक बुकलेट भी बनाई जाए. इस बुकलेट को वार्ड सदस्य, पार्षद, मुखिया, प्रमुख, विधायक, सांसद समेत तमाम जन प्रतिनिधियों और आम लोगों को भी उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे जान सकें कि कौन योजना किसके लिए है और वे इसका कैसे फायदा ले सकें.मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में पत्तल उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में विभाग कदम उठाए. इससे महिलाओं को जोड़ने को प्राथमिकता भी दी जाए औऱ जो भी जरूरी संसाधन हैं, उन्हें उपलब्ध कराया जाए. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं को हड़िया बेचने से रोकने और सम्मानित कार्य से जोड़ने के लिए फूलो-झानो आशीर्वाद योजना सरकार द्वारा संचालित की जा रही है. इस योजना के तहत आजीविका गतिविधियों से महिलाओं को जोड़ने के लिए ब्याजमुक्त ऋण की राशि में बढ़ोत्तरी की जाए. ज्ञात हो कि मिशन नवजीवन सर्वे के द्वारा 16549 महिलाओं को चिन्हित किया गया है. इनमें से 7175 महिलाओं को इस अभियान से जोड़ा जा चुका है.

झारखंड को डायन कुप्रथा एवं उसके ब्रांडिंग से मुक्त घोषित करने के लिए गरिमा परियोजना संचालित की जा रही है. पहले चरण में सात जिलों के 25 प्रखंडों के 342 ग्राम पंचायतों म यह योजना चल रही है. इसके तहत डायन कुप्रथा के उन्मूलन के लिए जागरुकता अभियान और पीड़िता अथवा उसके परिवार को पहचान कर लाभ पहुंचाना है. इशके लिए गरिमा केंद्र और कॉल सेंटर स्थापित किया गया

मुख्यमंत्री को बताया गया कि राज्य के दो लाख परिवारों को आजीविका संबंधी विभिन्न गतिविधियों से उत्पादों और विविधता को बढ़ावा दिया जा रहा है. परियोजना से इन उत्पादों के लिए बेहतर बाजार व्यवस्था उपलब्ध कराने के साथ किसानों को सशक्त बनाना है. इस परियोजना के लिए 958 करोड़ की राशि का उपबंध 

विभाग की ओर से मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए कुल 617885.87 करोड़ रुपए का बजट है. इसमें राज्यांश की राशि 240749 करोड़ रुपए है. इसमें 452066 करोड़ रुपए आवंटित हो चुके हैं. केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत एनआरएलएम, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, एसपीएमआरएम योजना, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना डीआरडीए एडमिनिस्ट्रेशन और पीएमकेएसवाई योजनाओं का संचालन हो रहा है.

मुख्यमंत्री को विभाग ने बताया कि ग्रामीण विकास विभाग के तहत विधायक योजना, प्रखंड सह अंचल कार्यालय निर्माण, मनरेगा ( सामान्य अस्सिटेंस ग्रांट), ब्लॉक जीप, जलछाजन परियोजना, लिफ्ट एऱिगेशन योजना, अंबेडकर आवास योजना, यूथ स्किल डेवलपमेंट, जोहार जैसी योजनाएं चलाई जा रही है. इन योजनाओं के लिए कुल 89789 करोड़ का बजट है. इसमें से 52461 करोड़ रुपए आंवटित हो चुके हैं और 7710 करोड़ राशि खर्च की गई है.

मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में मजदूरी भुगतान के लिए 1467.20 करोड़, सामग्री एवं प्रशासनिक मद में व्यय के लिए 362. 19 करोडं राशि का प्रावधान है. इस तरह मनरेगा में कुल व्यय की राशि 1829.39 करोड़ है.

ग्रामीण विकास विभाग ने 900 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. अबतक 768 मानव दिवस सृजित किए जा चुके हैं. 

मनरेगा के तहत सृजित किए गए मानव दिवस में 41.5 प्रतिश महिलाओं की भागीदारी रही है. इसमें सबसे ज्यादा कोडरमा में 47.8 प्रतिशत और सबसे कम देवघर में 34.7 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी रही है.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1272916 आवास निर्माण का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 1180102 आवास का निबंधन किया गया. इसमें 1159559 आवास को स्वीकृति दी गई. इसमें से 58 प्रतिशत आवासों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है.

राज्य सरकार द्वारा संचालित बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर आवास योजना के तहत 32700 आवास निर्माण का लक्ष्य है. इनमें से 31920 आवास निर्माण को स्वीकृति दी गई. इनमें से 21945 आवास का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है जो कि लक्ष्य का 67 प्रतिशत है.

 विभागीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि ग्रामीण गरीब महिलाओं को संगठित एवं क्षमता निर्माण कर उनको आजीविका से जोड़ने के लिए चलाई जा रही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 27169 गांवों, 254327 सखी मंडलों और 3189255 परिवारों को आच्छादित किया जा चुका है.

चक्रीय निधि के तलत 222714 महिला समूहों के बीच 334 करोड़ रुपए की राशि वितरित की जा चुकी है.

आजीविका संवर्धन के तहत पशुधन से 393189 परिवारों को जोड़ा गया है. इन्हें बकरी पालन, मुर्गी पालन,बत्तख सुकर, मछली पालन के लिए सुविधाएं दी जा रही है. इस क्रम में विभाग ने महिला समूहों के जरिए प्रतिदिन 10 लाख अंडा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. वर्तमान में महिला समूहों द्वारा एक लाख अंडा उत्पादन किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत राज्य में 20 हजार किलोमीटर सड़कें बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है. इनमें नई सड़कों के साथ वैसी भी सड़के शामिल हैं जो जर्जर हो चुकी हैं.

महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के तहत वनोपज से 27500 परिवारों को जोड़ा गया है. इन्हें लाह उत्पादन, इमली प्रस्संकरण, रेशम उत्पादन औऱ औषधीय पौधे लगा रही हैं. राज्य में वन विभाग द्वारा आठ ब्रूड लाह उत्पादन फॉर्म को पहली बार सखी मंडलों को उत्पादन का दायित्व दिया गया है.

उड़ान परियोजना के तहत 11 जिलों के 24 प्रखंडों के 23779 पीवीटीजी परिवारों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. इसमें डाकिया योजना के तहत 68370 परिवारों को घर पर राशन पहुंचाया जाता है.

इसके अलावा सूक्ष्म टपक सिंचाई परियोजना,लिफ्ट सिंचाई परियोजना, आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (आशा) समेत अन्य योजनाओं के संचालन और उपलब्धियों की जानकारी भी मुख्यमंत्री को विभाग द्वारा दी गई.

इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, ग्रामीण विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक, मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी, पंचायती राज के निदेशक आदित्य रंजन, जेएसडब्ल्यूएम के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी विनय कांत मिश्रा समेत अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे|


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Editor - भुपेन्द्र कुमार चौबे

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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