इन्दिरा गांधी विश्वविद्यालय, मीरपुर, रेवाड़ी में आज नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में ऑनलाईन माध्यम से एक विशिष्ट वार्ता का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी जी ने मुख्य वक्ता एवं अतिथि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां की कुलपति प्रोफेसर सुषमा यादव ने की । कार्यक्रम का आरम्भ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आहवान पर कोरोना महामारी को लेकर माननीय मुख्यमंत्री, हरियाणा सरकार की तरफ से मिले दिशा-निर्देशों के अनुसार शपथ ग्रहण कार्यक्रम से किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक, गैर-शिक्षक कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं कार्यक्रम से जुड़े समस्त प्रतिभागियों ने कोरोनावायरस से बचाव हेतु मिले हुए दिशा-निर्देशों की समर्पण भाव से अनुपालना करने पर संकल्प लिया। शपथ ग्रहण की अगुवाई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार गक्खड़ द्वारा की गई। उन्होने कार्यक्रम में जुड़े सभी मेहमानों का स्वागत किया और कहा कि यह नई शिक्षा नीति अत्यन्त विस्तृत है और इसको व्यवहारिक अनुप्रयोग मे लाने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का अत्यधिक महत्व है। इस प्रकार की वार्ताओं से विश्वविद्यालय की शिक्षा नीति अनुपालना समिति को मार्गदर्शन प्राप्त होगा कि वह इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय में इसकी खूबियों को किस प्रकार से लागू कर सकती है।
Rewari News : नई शिक्षा नीति के कार्यान्वय पर विशिष्ट वार्ता का आयोजन एवं कोरोना महामारी के विरूद्ध सामूहिक शपथ ग्रहण
मुख्य वक्ता श्री अतुल कोठारी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा के भारतीय करण के साथ-साथ शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की आत्मा का भी भारतीय करण किया जाना आवश्यक है। नई शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं के महत्व की तरफ ध्यान आकर्षित करती है। वास्तव में यदि देखा जाए तो विद्यार्थियों में सृजनात्मकता के बीच भारतीय भाषा रूपी माटी में ही फल-फूल सकते है। इसलिए हमें अपने वर्तमान संसाधनों का पूर्ण उपयोग करना चाहिए और शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान न बनकर व्यवहारिकता के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रोफेसर सुषमा यादव ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विद्यार्थियों में स्वतंत्र सोच को विकसित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है और इसके लिए शिक्षा को समय, आयु, पाठ्यक्रम एवं विषय के बन्धन से मुक्त करके अनुभव आधारित बनाया जाना चाहिए। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो विद्यार्थियों में उनके कौशल को खोज सके और उसे विकसित कर सके। यदि शिक्षा विद्यार्थियों में राष्ट्र के प्रति लगाव एवं सेवा भाव को प्रेरित कर सकती है तो विद्यार्थी केवल अपने भरण-पोषण के बारें में न सोच कर राष्ट्र के विषय में सोचेंगे। कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय की नई शिक्षा नीति कार्यान्वयन समिति के द्वारा किया गया और इसमें ऑनलाईन माध्यम से लगभग 450 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अन्त में कुलसचिव एवं विश्वविद्यालय मंे इस समिति की अध्यक्षा प्रोफेसर ममता कामरा ने सभी मेहमानोें, विश्वविद्यालय प्रशासन एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद किया एवं कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन करने के लिए आयोजक टीम के सभी सदस्यों को बधाई दी।
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