Godda News: video- ईसीएल प्रबंधन हुर्रासी कोयल खदान खोलने के लिए गलत तरीके से ले रहे जमीन, कानूनी जानकारी के अभाव में आदिवासी ठगे जा रहे हैं


ग्राम समाचार, बोआरीजोर(गोड्डा)। राजमहल परियोजना में हुर्रासी कोयला खादान चालू करने को लेकर बुधवार को डुमरिया गांव में ग्राम सभा का आयोजन किया गया। बैठक डुमरिया ग्राम प्रधान प्रेमलाल सोरेन की अध्यक्षता में हुई।

राजमहल परियोजना को विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण करने की कवायाद को तेज किया जा रहा है। 
वहीं ईसीएल द्वारा हुर्रासी कोयला खदान को चालू करने के कयास से हुर्रा-सी प्रभावित गांव                    लीलातरी,फुलबढ़िया,हरकट्टा,हाहाजोर,हरिपुर,हुर्रा,बड़ा-छोटा खैरबनी ग्रामीणों के साथ लगातार ग्राम सभा की जा रही है।बैठक में मुख्य रूप से पूर्व जिला परिषद बबलू हांसदा,प्रमोद हेम्ब्रम, ईसीएल अधिकारी आर के सिंन्हा,बोआरीजोर राजस्व उपनिरीक्षक सत्येंद्र ठाकुर,सांसद प्रतिनिधि मानव दत्ता एवं हाजारों की सख्या में ग्रामीण मौजूद थे। ग्रामीणों ने ग्राम सभा में कहा ईसीएल किस नियम कानून के तहत जमीन लेगें और कोयला खनन के बाद जमीन कब वापस होगा।
लेकिन ईसीएल प्रबंधन की ओर पारदर्शिता से भूस्वामी को नियमानुसार कानून के बारे में खुली जानकारी नहीं दी जा रही है। वही मौजूद आर. के. सिन्हा ईसीएल अधिकारी से इस सम्बंध में बात करने पर बताने से इनकार कर दिया। लेकिन जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है।

पूर्व जिला परिषद बबलू हंसदा ने कहा बंगाल में प्रति एकड़ ₹1करोड़ मुआवजा दिया जाता है लेकिन झारखंड प्रदेश के ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड ईसीएल द्वारा 2 एकड़ में मात्र एक करोड़ 12 लाख राशि मुआवजा के रूप में दिया जाता है। क्योंं   बंगाल के तर्ज पर झारखंड में बहुत कम मुआवजा दिया जाता है और जमीन भी वापस नहीं की जा रही है। जिसे लेकर यहां के रैयतों असंतोषजनक महशूस कर रहे है। 

जिला परिषद ने कहा ईसीएल प्रबंधन हमारे साथ किस एक्ट के तहत जमीन अधिग्रहण कर रहे है। कोयला खनन के बाद जमीन वापस नहीं किया जा रहा है और मुआवजा भी बंगाल के तर्ज पर बहुत कम दिया जा रहा है। वहीं पिछले 8 दिसम्बर को राजमहल परियोजना ललमटिया कोयला खादान से प्रभावित गांव तालझारी,भेरेंडा,पहाड़पुर,हररखा गांव के भूस्वामी द्वारा लगातार जमीन बचाने को लेकर संवैधानिक अधिकार पांचवी अनुसूची क्षेत्र के तहत पेशा कानून प्रभावशाली को लेकर जमीन बचाने की बात की जा रही है।

वहीं दूसरी ओर ईसीएल द्वारा हुर्रासी कोयला खदान खोलने को लेकर जमीन अधिग्रहण की कवायद को तेज कर कर दी है। लेकिन समझ से परे है कि विगत 8 दिसम्बर 2020 को ईस्टर्न कोलफील्ड लालमटिया कोयला खदान के प्रति विरोध कर प्रभावित गांव के ग्रामीणों ने लामबंद होकर अपने मौजा में लाल झंडी गाड़ कर सीमांकन भी कर दिया है। अब दिखा जाए पांचवी अनुसूची पेशा कानून के तहत आदिवासी अपनी जमीन को बचा पायेंगे या नहीं आगे अब देखना बाकी है।

                            -ग्राम समाचार, बोआरीजोर(गोड्डा)।


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Editor - विलियम मरांड़ी। 9905461511

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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