Dumka News : अलचिकी ही संताली भाषा का स्वीकृत लिपि ,उस लिपि के बिना भाषा का विकास असंभव

ग्राम समाचार, दुमका: आदिवासी सेंगेल अभियान के बैनर तले प्रमंडल छेत्र में संताली भाषा का लिपि ओलचिकी का सरकारी काम काज में प्रयोग का मांग जोर पकड़ने लगा हैं ।साथ ही रोमन लिपि में संताली का कामकाज जारी रखने की मांग करनेबाले का यह पुतला दाहन जारी है ।बुधबार सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं ने शिकारीपाड़ा एबं रानीश्वर प्रखंड के आसनबनी में बिशाल रैली का आयोजन कर विधायक सह पूर्ब कृषि मंत्री नलिन सोरेन के साथ मुख्यमंत्री, राज्यपाल, बिरोधी दल के नेता बाबूलाल मरांडी का पुतला दाहन किया हैं ।बीते दिन विधायक श्री सोरेन ने सरकारी कार्य मे संताली भाषा का प्रयोग रोमन लिपि में कराने की मांग किया हैं ।भारतीय संविधान में संताली भाषा को आठवी सूची में शामिल किया है।साथ ही2005 में केंद्र सरकार  ओलचिकी लिपि को संताली भाषा का लिपि के रूप में मान्यता दिया हैं । भारतीय संविधान में किसी भी भाषा का एक ही लिपि मान्य हैं ।बिश्ब में संताली भाषा का यूनिकोड हैं, ic 50 - ic 7F यानि बिश्ब में अलचिकि लिपि ही संताली भाषा की लिपि के रूप में मान्य हैं ।संताली भाषा को आठवी सूची में शामिल करने के बाद रिज़र्व बैंक ने करेंसी में अन्य भाषा के साथ संताली को भी शामिल करने का निर्णय लिया हैं, जिसे अलचिकी लिपि में लिखने की अंतिम स्टेज पर हैं।केंद्रीय रेल मंत्रालय ने भाजपा नीत पूर्ब राज्य सरकार के आग्रह पर जमशेदपुर एबं दुमका स्टेशन में अलचिकी लिपि में लेखन कराया है ।राजधानी रांची के राजभवन में भी अलचिकी लिपि में लेखन कराया हैं । मार्च महीना में यहां जिले के सरकारी कार्यालय में हिंदी, अंग्रेजी के साथ संताली भाषा का लिपि में लेखन कराया हैं । यहां उलेखनीय हैं कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के पास पश्चिम बंगाल के सांसद बासुदेव आचार्य, आ से का के सुबोध हांसदा एबं अन्य दो प्रतिनिधि मिलकर संताली भाषा को आठवी सूची में शामिल करने का मांग किया था। उसी समय मैथिली, डोगरी, बोडो के साथ संताली को आठवी सूची में शामिल किया गया हैं ।संताली स्कलर काली दास मुर्मू के अनुसार पंडित रघुनाथ मुर्मू अलचिकी लिपि के जनक हैं, उस लिपि को विज्ञान सम्मत माना गया हैं ।उन्होंने एक बर्ग के द्बारा लिपि को धर्म के साथ जोड़ कर रोमन लिपि का मांग को सरासर गलत बताया है

गौतम चटर्जी, ग्राम समाचार, रानीश्वर(दुमका)

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Editor - केसरीनाथ यादव, दुमका

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