ग्राम समाचार, भागलपुर। मोदी सरकार की मजदूर विरोधी कारपोरेट परस्त - साम्प्रदायिक व देश बेचने वाली नीतियों, लेबर कोड बिल, राष्ट्रीय संपत्ति का निजीकरण, महंगाई, बेकारी आदि के खिलाफ ऐक्टू व अन्य केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन दिवस रविवार को ”भारत बचाओ दिवस” के तौर पर मनाया गया। ऐक्टू व सम्बद्ध यूनियनों ने सुरखीकल यूनियन कार्यालय, संयुक्त भवन परिसर स्थित पीएचईडी कर्मचारी संघ कार्यालय सहित शाहकुण्ड, नाथनगर, सबौर, जगदीशपुर, बिहपुर आदि प्रखंडों के कई गांवों में निर्माण व असंगठित क्षेत्र के सैकड़ों महिला-पुरुष मजदूरों ने सत्याग्रह कर अपनी मांगों को बुलंद किया। कार्यक्रमों का नेतृत्व ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व एआईसीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय महासचिव एस. के. शर्मा, राज्य सह जिला सचिव मुकेश मुक्त, राज्य परिषद सदस्य सुरेश प्रसाद साह, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ-गोपगुट के जिला सम्मानित अध्यक्ष विष्णु कुमार मंडल, नकुल चंद्र सिन्हा, जयप्रकाश सिंह, विनय कुमार मिश्र, बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के जिला संयुक्त सचिव अमर कुमार, अमित गुप्ता, बुधनी देवी, असंगठित कामगार महासंघ के जिला संयोजक राजेश कुमार दास, शैलेन्द्र कुमार सिंह प्रवीण कुमार पंकज, मीरा देवी, पूनम देवी, दीपक कुमार, निश्चल कुमार मिश्रा, अमित कुमार व सुमित कुमार ने संयुक्त रुप से किया। ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस. के. शर्मा व राज्य सह जिला सचिव मुकेश मुक्त ने मौके पर कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना संकट को मजदूरों और आम जनता के खिलाफ वास्तविक युद्ध में बदल दिया है। अब मोदी सरकार इस युद्ध को ”आत्मनिर्भर भारत” के झांसे में और तेज़ कर रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य संवेदनशील और रणनीतिक क्षेत्रों का निजीकरण और तमाम राष्ट्रीय पूंजी और प्राकृतिक संसाधनों को बेचना है। दूसरी तरफ मजदूर वर्ग की गुलामी को कई तरीकों से और मजबूत किया जा रहा है। इस दिशा में कुछ हालिया बड़े कदम कोयला खदानों का व्यावसायीकरण और बैंको का पूरी तरह निजीकरण है, यानी इन दो उद्यमों के राष्ट्रीकरण को पूरी तरह खत्म करना और ट्रेनों और उनके रूट्स का निजीकरण करना है। नेता द्वय ने कहा कि मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट मित्रों और संघी-फासीवादी ब्रिगेड के लिए, "संकट को अवसर" में बदलते हुए, इस लॉकडाउन की आड़ में लगातार अपने फासीवादी, मजदूर विरोधी एजेंडा को बहुत ही आक्रामकता के साथ आगे बढ़ा रही है। मोदी सरकार व इसके संघी-फासीवादी ब्रिगेड द्वारा देश, इसकी संप्रभुता, इसका संविधान, इसकी स्वतंत्रता और जनता के अधिकारों पर किए जा रहे हमले के खिलाफ ऐक्टू व सम्बद्ध यूनियनों का प्रतिकार जारी रहेगा।
ऐक्टू ने मनाया भारत बचाओ दिवस, दर्जनों स्थानों पर सत्याग्रह कर मोदी सरकार की देश बेचने वाली नीतियों का किया प्रतिकार
ग्राम समाचार, भागलपुर। मोदी सरकार की मजदूर विरोधी कारपोरेट परस्त - साम्प्रदायिक व देश बेचने वाली नीतियों, लेबर कोड बिल, राष्ट्रीय संपत्ति का निजीकरण, महंगाई, बेकारी आदि के खिलाफ ऐक्टू व अन्य केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन दिवस रविवार को ”भारत बचाओ दिवस” के तौर पर मनाया गया। ऐक्टू व सम्बद्ध यूनियनों ने सुरखीकल यूनियन कार्यालय, संयुक्त भवन परिसर स्थित पीएचईडी कर्मचारी संघ कार्यालय सहित शाहकुण्ड, नाथनगर, सबौर, जगदीशपुर, बिहपुर आदि प्रखंडों के कई गांवों में निर्माण व असंगठित क्षेत्र के सैकड़ों महिला-पुरुष मजदूरों ने सत्याग्रह कर अपनी मांगों को बुलंद किया। कार्यक्रमों का नेतृत्व ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व एआईसीडब्ल्यूएफ के राष्ट्रीय महासचिव एस. के. शर्मा, राज्य सह जिला सचिव मुकेश मुक्त, राज्य परिषद सदस्य सुरेश प्रसाद साह, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ-गोपगुट के जिला सम्मानित अध्यक्ष विष्णु कुमार मंडल, नकुल चंद्र सिन्हा, जयप्रकाश सिंह, विनय कुमार मिश्र, बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन के जिला संयुक्त सचिव अमर कुमार, अमित गुप्ता, बुधनी देवी, असंगठित कामगार महासंघ के जिला संयोजक राजेश कुमार दास, शैलेन्द्र कुमार सिंह प्रवीण कुमार पंकज, मीरा देवी, पूनम देवी, दीपक कुमार, निश्चल कुमार मिश्रा, अमित कुमार व सुमित कुमार ने संयुक्त रुप से किया। ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस. के. शर्मा व राज्य सह जिला सचिव मुकेश मुक्त ने मौके पर कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना संकट को मजदूरों और आम जनता के खिलाफ वास्तविक युद्ध में बदल दिया है। अब मोदी सरकार इस युद्ध को ”आत्मनिर्भर भारत” के झांसे में और तेज़ कर रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य संवेदनशील और रणनीतिक क्षेत्रों का निजीकरण और तमाम राष्ट्रीय पूंजी और प्राकृतिक संसाधनों को बेचना है। दूसरी तरफ मजदूर वर्ग की गुलामी को कई तरीकों से और मजबूत किया जा रहा है। इस दिशा में कुछ हालिया बड़े कदम कोयला खदानों का व्यावसायीकरण और बैंको का पूरी तरह निजीकरण है, यानी इन दो उद्यमों के राष्ट्रीकरण को पूरी तरह खत्म करना और ट्रेनों और उनके रूट्स का निजीकरण करना है। नेता द्वय ने कहा कि मोदी सरकार अपने कॉरपोरेट मित्रों और संघी-फासीवादी ब्रिगेड के लिए, "संकट को अवसर" में बदलते हुए, इस लॉकडाउन की आड़ में लगातार अपने फासीवादी, मजदूर विरोधी एजेंडा को बहुत ही आक्रामकता के साथ आगे बढ़ा रही है। मोदी सरकार व इसके संघी-फासीवादी ब्रिगेड द्वारा देश, इसकी संप्रभुता, इसका संविधान, इसकी स्वतंत्रता और जनता के अधिकारों पर किए जा रहे हमले के खिलाफ ऐक्टू व सम्बद्ध यूनियनों का प्रतिकार जारी रहेगा।
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