जैव उर्वरक तकनीकों में नवीन अनुसंधान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार, जैव उर्वरकों का प्रयोग से मृदा की गुणवत्ता में किया जा सकता है सुधार - कुलपति
ग्राम समाचार, भागलपुर। जिले के बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के द्वारा मंगलवार को मृदा सूक्ष्म जीव विज्ञान विशेषकर जैव उर्वरक तकनीकों में नवीन अनुसंधान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका उद्घाटन बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा० अजय कु० सिंह के द्वारा किया गया। इस अवसर पर निर्देशक प्रसार शिक्षा डा० आर० के० सोहाने, मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा० निलंजन चट्टोपाध्याय, विभाग के वैज्ञानिक डा० महेन्द्र सिंह, डा० निन्टु मंडल, डा० अमित कु० प्रधान आदि उपस्थित थे। इस मौके पर कुलपति ने अपने संबोधन में कहा है कि उर्वरकों की मांग एवं पूर्ति में बहुत बड़ा अंतर है। इस संदर्भ में उन्होनें कहा कि विभिन्न प्रकार के जैव उर्वरकों जैसे- राइजोबियम, पी. एस. बी., ऐजोटोबेक्टर, एजोस्पेरेलम के द्वारा उर्वरकों के अंतर को भरा जा सकता है। साथ ही साथ यह भी देखा जा रहा है कि रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मृदा का स्वास्थ्य में कमी हो रही है। जिसे जैव उर्वरकों का प्रयोग करके मृदा की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है। कुलपति ने आह्वान किया कि अभी भी इस क्षेत्र में सत्त अनुसंधान की आवश्यकता है। इस राष्ट्रीय वेबिनॉर में डा० डी० एल० एन० रॉय, रिटायर्ड इमेरिटस वैज्ञानिक भारतीय संस्थान, मृदा विज्ञान, भोपाल, डा० जे० सी० तरफदार रिटायर्ड इमेरिटस वैज्ञानिक कजरी जोधपुर, डा० एम० सी० मन्ना०, प्रधान वैज्ञानिक एवं हेड मृदा सूक्ष्म विज्ञान, भारतीय संस्थान मृदा विज्ञान, भोपाल, डा० डी० आर० विश्वास, प्रधान वैज्ञानिक, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली, डा० टी० जे० पुराकायस्था प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली, डा० लता, प्रधान वैज्ञानिक, सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली, डा० अरनव भूमिक नोर्थ काटोलिना स्टेट विश्वविद्यालय अमेरिका आदि ने अपने अनुसंधान तथा नवीन अनुसंधान के निष्कर्षों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। इस राष्ट्रीय वेबिनार में कुल 2127 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जबकि 50 इलैक्ट्रोनिक ओरल प्रजेनटेशन एवं 100 इलैक्ट्रोनिक पोस्टर प्रजेनटेशन भी शामिल हुए। राष्ट्रीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र में डा० आर० के० सोहाने, निर्देशक प्रसार शिक्षा ने कहा कि वेबिनार के दौरान इस विषय के प्रवधान राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों के सुझावों पर गहन मंथन किया जाएगा ताकि मृदा के स्वास्थ्य को बनाया रखा जा सके, तभी इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य पूरा होगा।
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