संजिव कुमार महतो |
श्री महतो ने यह भी बताया कि संथाल हूल के महानायक व स्वतंत्रा सेनानी सिदो-कान्हू के नेतृत्व ने झारखंड एवं झारखंडियों को जो पहचान दिलाई है इसे कभी भूलाया नहीं जा सकता। अंग्रेज भी सिदो-कान्हू के नेतृत्व और यहां हुए शहादत को विश्व में अद्वितीय मानते हैं। एसपीटी एक्ट इनके व इनके सहयोगियों के द्वारा चले हुल क्रांति का ही परिणाम है। दूर्भाग्यपुर्ण रहा कि झारखंड बनने के पश्चात पिछले दिनों संथाल परगणा हूल के महानायक की भी प्रतिमा आसमाजिक तत्वों ने तोड़ दी थी। पर उससे भी दूर्भाग्यपुर्ण तो अब हुआ कि उनके वंशजों को ही समाप्त करने की योजना हो रही है। इसको लेकर उनके वंशज दहशत में हैं और आंदोलन की राह अपना रहें हैं।
सिदो कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू का शव 12 जून को लावारिस हालत में मिला था। लाश मिलने के बाद उनके परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है। मृतक की पत्नी कपरो किस्कू ने बरहेट थाने में आवेदन देकर बताया कि मेरे पति की हत्या भोगनाडीह निवासी सद्दाम अंसारी ने की है। एफआईआर में यह भी कहा गया कि सद्दाम अंसारी द्वारा एक आदिवासी युवती पर भद्दी टोन कसने पर रामेश्वर मुर्मू ने इसका विरोध किया था। जिस कारण दोनों में हाथापाई हुई और सद्दाम अंसारी ने जान से मारने की धमकी दी और उसी रात रामेश्वर मुर्मू का संदिग्ध मौत हो गयी। रामेश्वर मुर्मू के हत्या की उच्च स्तरीय जांच सी बी आई द्वारा हो यह मांग पीड़ित परिवार कर रहे हैं।उपरोक्त घटना से आहत हुल शहीद चानकु महतो के स्मारक स्थल रंगमटिया,गोड्डा में भी सांकेतिक धरना के माध्यम से झारखंड सरकार को उनके जिम्मेदारी का एहसास कराना चाहते हैं। बताना चाहते हैं कि शहीदों के वंशज को मान-सम्मान और न्याय मिलना चाहिए।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें