ग्राम समाचार, भागलपुर। टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज भागलपुर में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार के दूसरे दिन कार्यक्रम की अध्यक्षता तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के अध्यक्ष (प्रोफेसर) डॉ. राकेश कुमार ने की। उन्होंने पुनः इस वेबीनार के विचारणीय बिंदु महामारी के बाद अध्यापक शिक्षा में शिक्षा शास्त्रीय रूपांतरण उसकी दशा पर विषय बोध कराने का प्रयास किया। प्रथम सत्र में अनिका भरद्वाज ने ई लर्निंग पर जोर देने का प्रयास किया। सहिबा गुलनाज जो किंग साउद विश्वविद्यालय रियाद सऊदी अरबिया से कोविड 19 जैसे प्रलंयकारी महामारी का वर्णन करते हुए बताया कि इसके पूर्व भी स्पेनिश बुखार में करोड़ों लोगों की मृत्यु हो गई थी। क्योंकि उस समय तकनीक का इतना विकास नहीं हो पाया था। कोविड-19 के बाद सामान्य स्थिति पर जो शिक्षण की स्थिति में बदलाव आएगा उस पर उन्होंने चर्चा किया। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार ने वीडियो के माध्यम से शिक्षा शास्त्र को अध्यापक शिक्षा में रूपांतरण की दिशा में उद्धृत करते हुए अधिगम के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया। उन्होंने रचनात्मक शिक्षा शास्त्र की व्याख्या की। उन्होंने विषय वस्तु पर ज्ञान को शिक्षाशास्त्र का ज्ञान एवं तकनीकी ज्ञान को संबंधित कर शिक्षार्थियों को संप्रेषित करने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि अगर हम परिस्थिति को नहीं बदल सकते हैं तो अपने को परिस्थिति के अनुकूल कर परिवर्तन करते हुए महामारी के संकट में शिक्षा को आगे बढ़ा सकते हैं।
राजा महेंद्र वर्मन आंध्र प्रदेश के शिक्षाविद प्रोफेसर रामा रेड्डी केरी ने विमर्श के लिए विषय वस्तु पर विचार करते हुए बताया कि शैक्षिक व्यवस्था में हम कई विषयों का अध्ययन करते हैं। सामाजिक अध्ययन एवं मनोविज्ञान शिक्षा शास्त्र में भी इस व्यवस्था को एक अनिवार्य रूप बनाया जाना होगा, जिसका अब समय आ गया है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के अंतराल में हमें इससे डरना नहीं चाहिए बल्कि आत्मविश्वास एवं सावधानी के साथ उपलब्ध तकनीक के द्वारा शिक्षार्थी को ज्ञान प्रदान करना चाहिए। उन्होंने विस्तार से मनोविज्ञान, शिक्षा मनोविज्ञान व शैक्षिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए शिक्षार्थियों की समस्याओं, उनकी विधाओं, उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए अध्यापक शिक्षा में नवाचार का आह्वान किया। शिक्षा शास्त्र के रूपांतरण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोर दिया। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि 2040 तक हमारे नागरिक इन्हीं माध्यम से आगे बढ़कर महान बनेंगे। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी, बिहार के शिक्षा संकाय अध्यक्ष डॉ आशीष श्रीवास्तव ने मुदालियर आयोग एवं जी कृष्णमूर्ति जैसे कई शिक्षाविदों एवं उनकी रचनाओं का वर्णन करते हुए बताया कि शिक्षक को एक नागरिक के रूप में पहले देखा। उन्होंने एक नागरिक को तीन विशेषताओं को बतलाया विवेचन चेतना, सामाजिक जिम्मेदारी एवं राजनीतिक जागरूकता। उन्होंने चांद की पुस्तक चर्चा की, जो 11 भाषाओं में प्रकाशित की गई है। इसी प्रकार डेविड होंसबर्ग की चर्चा करते हुए उनके विषय वस्तु को नई दिशा की ओर जोड़ने की बात कही। इसके लिए जुगाड़ नामक पुस्तक का वर्णन करते हुए उनके सिद्धांतों को विपरीत परिस्थिति में अवसर, कम संसाधनों में बहुत कुछ इस्तेमाल, कार्य में लचीलापन, हमेशा साधारण सर्व,-सुलभ लाभ होगा। इसमें महाविद्यालय के अध्यक्ष बरुण कुमार सिंह ने ऐसे विकट परिस्थिति में शिक्षकों को किस प्रकार अपने शिक्षार्थी तक पहुंच बनाना चाहिए इस पर अपनी बातों को साझा किया। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थिति में भी हम कैसे शिक्षार्थी को शिक्षा दे सकते हैं इसके लिए हम सिर्फ वेबीनार को ही माध्यम नहीं बनाना है, बल्कि अलग-अलग माध्यम से भी शिक्षार्थी तक पहुंचा जा सकता है। अंत में देव के द्वारा सभी वक्ताओं, प्रतिभागी, सदस्यों सहित प्रियंका कुमारी अध्यक्ष, वरुण कुमार सिंह सचिव, जय रंजन दास कोषाध्यक्ष एवं बी.एड. के विभागाध्यक्ष अनामिका कुमारी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनके प्रति आभार प्रकट किया। इस वेबीनार में अवधेश कुमार दीक्षित, हरिवंश प्रसाद सिंह, डॉक्टर अमित कुमार दास, पुष्पराज गुंजन, डॉक्टर राजीव कुमार, किशोर कुमार कुणाल, नाज बानो भी शामिल थी। इसके अलावा अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय भागलपुर के डॉ इसम लाल करहरिया भी उपस्थित थे। डॉक्टर करहरिया ने बताया कि यह अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा और दशा तय करेगी।
राजा महेंद्र वर्मन आंध्र प्रदेश के शिक्षाविद प्रोफेसर रामा रेड्डी केरी ने विमर्श के लिए विषय वस्तु पर विचार करते हुए बताया कि शैक्षिक व्यवस्था में हम कई विषयों का अध्ययन करते हैं। सामाजिक अध्ययन एवं मनोविज्ञान शिक्षा शास्त्र में भी इस व्यवस्था को एक अनिवार्य रूप बनाया जाना होगा, जिसका अब समय आ गया है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के अंतराल में हमें इससे डरना नहीं चाहिए बल्कि आत्मविश्वास एवं सावधानी के साथ उपलब्ध तकनीक के द्वारा शिक्षार्थी को ज्ञान प्रदान करना चाहिए। उन्होंने विस्तार से मनोविज्ञान, शिक्षा मनोविज्ञान व शैक्षिक पहलुओं पर चर्चा करते हुए शिक्षार्थियों की समस्याओं, उनकी विधाओं, उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए अध्यापक शिक्षा में नवाचार का आह्वान किया। शिक्षा शास्त्र के रूपांतरण के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोर दिया। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि 2040 तक हमारे नागरिक इन्हीं माध्यम से आगे बढ़कर महान बनेंगे। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी, बिहार के शिक्षा संकाय अध्यक्ष डॉ आशीष श्रीवास्तव ने मुदालियर आयोग एवं जी कृष्णमूर्ति जैसे कई शिक्षाविदों एवं उनकी रचनाओं का वर्णन करते हुए बताया कि शिक्षक को एक नागरिक के रूप में पहले देखा। उन्होंने एक नागरिक को तीन विशेषताओं को बतलाया विवेचन चेतना, सामाजिक जिम्मेदारी एवं राजनीतिक जागरूकता। उन्होंने चांद की पुस्तक चर्चा की, जो 11 भाषाओं में प्रकाशित की गई है। इसी प्रकार डेविड होंसबर्ग की चर्चा करते हुए उनके विषय वस्तु को नई दिशा की ओर जोड़ने की बात कही। इसके लिए जुगाड़ नामक पुस्तक का वर्णन करते हुए उनके सिद्धांतों को विपरीत परिस्थिति में अवसर, कम संसाधनों में बहुत कुछ इस्तेमाल, कार्य में लचीलापन, हमेशा साधारण सर्व,-सुलभ लाभ होगा। इसमें महाविद्यालय के अध्यक्ष बरुण कुमार सिंह ने ऐसे विकट परिस्थिति में शिक्षकों को किस प्रकार अपने शिक्षार्थी तक पहुंच बनाना चाहिए इस पर अपनी बातों को साझा किया। उन्होंने कहा कि विषम परिस्थिति में भी हम कैसे शिक्षार्थी को शिक्षा दे सकते हैं इसके लिए हम सिर्फ वेबीनार को ही माध्यम नहीं बनाना है, बल्कि अलग-अलग माध्यम से भी शिक्षार्थी तक पहुंचा जा सकता है। अंत में देव के द्वारा सभी वक्ताओं, प्रतिभागी, सदस्यों सहित प्रियंका कुमारी अध्यक्ष, वरुण कुमार सिंह सचिव, जय रंजन दास कोषाध्यक्ष एवं बी.एड. के विभागाध्यक्ष अनामिका कुमारी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनके प्रति आभार प्रकट किया। इस वेबीनार में अवधेश कुमार दीक्षित, हरिवंश प्रसाद सिंह, डॉक्टर अमित कुमार दास, पुष्पराज गुंजन, डॉक्टर राजीव कुमार, किशोर कुमार कुणाल, नाज बानो भी शामिल थी। इसके अलावा अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय भागलपुर के डॉ इसम लाल करहरिया भी उपस्थित थे। डॉक्टर करहरिया ने बताया कि यह अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा और दशा तय करेगी।
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