ग्राम समाचार, दुमका । एक तरफ जहां लॉक डाउन में गरीबों को रोजी-रोटी जुगाड़ करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। वही दूसरी ओर इस महामारी के कारण घर बैठे मसलिया के मोहन सोरेन को उधारी ₹2000 के एवज में अपना आशियाना खोना पड़ गया। महाजन गेडे हेम्ब्रम उर्फ हाकिम व शिवकुमार ने इन रुपयों के एवज में उनके छज्जे के खपरैल समेत लेकर वसूल कर लिए। मजदूर वर्ग के मोहन सोरेन ने बमुश्किल से ₹15 सौ जमा भी कर दिए थे । बाकी 500 को बीते रविवार को चुकता करना था। बाहर काम करने गए बेटे बालकेय सोरेन ने फोन पर बताया था कि घर पहुंचकर पैसे पाई पाई चुका दूंगा। पर लॉकडाउन में फंस गया। इधर कर्जा लिए मोहन सोरेन कोई काम न मिलने के कारण वह बकाया 500 रुपये नहीं दे सका। इसी बीच गांव के शिव कुमार हेंब्रोम उर्फ गेडे और हाकिम मरांडी उनके घर पहुंच कर पैसे मांगने लगे। मिन्नतें की पर नहीं माने अंततः घर के छत में लगे 230 टाली उतार कर चले गए । बेचारा मोहन की आंखों में आंसू झलक रह गए इस घटना को जिसने भी सुना वह मन मसोसकर रह गया । उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी मिला था पर लोकडाउन में आधा अधूरा रह गया। इधर घटना एम्फन तूफान के समय का है। उजड़े छप्पर से दर दर पानी गिरता रहा और मोहन सोरेन भीगता रहा। अंत में प्रशासन की शरण में फरियाद लिए पहुंचा पर वहां जले में नमक ही छिड़का गया । पहला पक्ष को थाना बुलवा कर बैठाया गया। इधर आरोपियों ने चुपके से टाली उसके घर छोड़ आ गया। जिस महाजनी प्रथा को सांसद रहते शिबू सोरेन ने बंद कराने की पुरजोर कोशिश की थी व आज उन्हीं के सांसद में रहते गोद लिए रांगा गांव में यह घटना घटी है।
प्रसासन दोषियों को सजा देने के जगह घटना को लीपापोती करती दिख रही है। जब मामले को लेकर पीड़ित मोहन सोरेन थाना पहुंचा तो सब जानकर कर आरोपियों को बचाने व मामला को रफा दफा करने के नियत चुपचाप टाली मोहन के घर मे पहुंचवा दिया है। हाकिम व शिवकुमार तो ये कहते नजर आया कि सोहन खुद अपने छज्जे की टाली उतार कर दिया था। अब प्रश्न यह उठता है कि यदि टाली स्वेच्छा से दिया था तो दोबारा उसी के घर रख आने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी। इस मामले पर जब एसपी अम्बर लकड़ा व उपायुक्त बी राजेश्वरी से पूछा तो कहा कि मामले को गहराई से जांच करने का आदेश प्रखंड कार्यालय में भेजा है।
केसरीनाथ, ग्राम समाचार, दुमका ।
मसलिया के रांगा गांव के पीड़ित परिवार छज्जे के सामने |
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