- ग्राम समाचार ,हजारीबाग: कोविड 19 महामारी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले रखा हैं। जहां एक और संक्रमण दर में बेतहाशा वृद्धि हुई है मृत्यु दर इससे अछूता नहीं रहा हैं।संक्रमण से मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई है। ऐसी परिस्थिति में मृतक के अंतिम संस्कार को लेकर समाज में कई प्रकार के मत सामने आए हैं। कुछ का मानना है कि ऐसे शवों को जलाना चाहिए कुछ इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम या गैस चेंबर के पक्षधर हैं तो कुछ दफनाना चाहते हैं। उचित जानकारी के अभाव में समाज में अनेक भ्रम व अफवाह व्याप्त हैं।
इसे लेकर देशभर में ऐसे कई मामले प्रकाश में आए हैं जहां संक्रमण फैलने के डर से कब्रिस्तान में दफनाए जाने का पुरजोर विरोध किया जा रहा हैं। मुस्लिम समाज में शवों को दफनाने की प्रथा है। फिर भी कोविड 19 संक्रमण से मृत व्यक्तियों के शवों को दफनाने को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में कई हिंसक मामले प्रकाश में आए हैं। स्थिति इतनी गंभीर भी हुई है की प्रशासन द्वारा धारा 144 सीआरपीसी लगानी पड़ी है। अंतिम संस्कार में बाधा डालना एक गंभीर मामला है जो हमारी संवेदनहीनता का परिचय देता है। मामले की गंभीरता आलम है कि यह मामला माननीय उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया है।
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सामाजिक कलंक और शव प्रबंधन के संबंध में अनेक दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। यह निर्देश विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 24 मार्च 2020 को जारी दस्तावेज के द्वारा स्वीकृत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि कोरोना संक्रमण से मरने वाले लोगों को जलाया और दफनाया जा सकता है और यह संक्रामक नहीं होता है।
भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश निम्न प्रकार से हैं-पहला शमशान या दफन भूमि पर सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए सीमित लोगों का प्रवेश ही मान्य है।शमशान या दफन स्थल में लोगों को संवेदनशीलता व सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए जिससे अतिरिक्त जोखिम की स्थिति उत्पन्न ना हो। उन्हें स्वच्छता के मानकों का पालन करते हुए मास्क और दस्ताना का प्रयोग आवश्यक रूप से करना चाहिए।
मृतक के रिश्तेदारों को मृतक का अंतिम दर्शन करने से रोका नहीं जा सकता है। शव को छूना, स्नान कराना, चुंबन लेना या गले लगाने की सख्त मनाही है। बिना स्पर्श किए धार्मिक अनुष्ठानों का अनुसरण या धार्मिक पाठ कराया जा सकता है, पवित्र जल भी छिड़का जा सकता हैं। दफन या अंतिम संस्कार की समाप्ति पर हाथ की सफाई आवश्यक है। जलाने के पश्चात राख एकत्र करने में कोई जोखिम नहीं है और यह वर्जित नहीं है।
उचित सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हर मृत शरीर का भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है जिसका किसी भी परिस्थिति में उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। इसलिए दुख की घड़ी में मृतक के परिवार की भावनाओं और संवेदना का ख्याल रखते हुए हमारा यह फर्ज बनता है कि हम उनका सहयोग करें ना कि विरोध। सभ्य समाज के नागरिक होने के नाते हमें ऐसे भ्रामक प्रचार करने वाली घटनाओं का पुरजोर विरोध करना चाहिए। पीड़ित परिवार का सहारा बन मानवता का अटूट मिसाल कायम करना चाहिए। -रश्मि प्रधान ग्राम समाचार, हजारीबाग (झारखंड)
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