ग्राम समाचार (विशेष संवाददाता) आज जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना से लडाई लड़ रहा है भ्रष्टाचारी इस समय भी अपनी करतूतों से बाज़ नही आ रहे है। घटना ज़िला शिक्षा पदाधिकारी कार्यलय दुमका की है।
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आरोपी मोहम्मद इफ्तिखार |
क्या है मामला
परिवादी अजय कुमार दुबे ने बताया कि वे एक प्राइवेट स्कूल के प्रधानाध्यापक है।
इन्हें जिला शिक्षा पदाधिकारी दुमका द्वारा आदेश प्राप्त कराया गया था जिसमें covid19 के कारण सरकारी आदेश के बावजूद विद्यालय खुला रखने के सम्बंध में स्पस्टीकरण मांगा गया था।
श्री दुबे ने बताया कि सभी स्पस्टीकरण समय पर दिया गया था।अंतिम स्पस्टीकरण तकनीकी खराबी के कारण ऑन लाईन समर्पित नहीं किया जा सका जिसे इन्होंने ऑफ़ लाइन समर्पित किया।
किन्तु जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इन्हें निर्देश दिया कि सभी विद्यालयों को खोलने के बावजूद इनके विद्यालय को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक बंद किया जाता है। आदेश निकलने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यलय के लिपिक मोहम्मद इफ्तिखार ने श्री दूबे से संपर्क कर कहा कि यदि आप विद्यालय खुलवाना चाहते हैं तो पांच लाख रुपए देना पड़ेगा क्योंकि यह मैडम का आदेश है, रुपया देने के बाद मैं आप का स्कूल खुलवा दूँगा।यदि रुपया नहीं दीजियेगा तो स्कूल नहीं खुलेगा।
मामले के बाद श्री दुबे ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से संपर्क कर संबंधित अधिकारियों को पूरी मामले की जानकारी दी। सरकार के भ्रष्टाचार निरोध शाखा के अधिकारियों ने तत्काल संज्ञान लेते हुए टीम गठित की।
कैसे हुई गिरफ्तारी
भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा सत्यापन के दौरान जिला शिक्षा पदाधिकारी दुमका के क्लर्क मोहम्मद इफ्तिखार द्वारा तीन लाख रुपये ऊपर वाले लोगों के लिए एवं एक लाख रुपये अपने लिए कुल चार लाख रुपये रिश्वत मांगे जाने की बात सामने आयी।
परिवादी के लिखित शिकायत और सत्यापनकर्ता पुलिस उपाधीक्षक सिरिल मरांडी के सत्यापन प्रतिवेदन के आधार पर प्राथमिकी अभियुक्त मोहम्मद इफ्तिखार को एक लाख रुपये घुस लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक टीम द्वारा रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।
इस टीम में पुलिस उपाधीक्षक सिरिल मरांडी ,पुलिस निरीक्षक ए पी यादव तथा अन्य पुलिस कर्मी शामिल थे। काण्ड के अनुसंधान कर्ता अरबिंद प्रसाद यादव है।
- ग्राम समाचार, दुमका।
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