Editorials : रक्षा बाजार में भारत


हर्ष कक्कड

वर्ष 2019 के मध्य में रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की थी कि अगली अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी फरवरी, 2020 में लखनऊ में आयोजित होगी। यह पहली बार है कि यह प्रदर्शनी उत्तर प्रदेश में आयोजित हो रही है। मौजूदा रक्षा प्रदर्शनी का विषय है- 'भारत : उभरता हुआ रक्षा विनिर्माण केंद्र' और यह 'रक्षा उत्पादों के डिजिटल रूपांतरण' पर केंद्रित है। सऊदी अरब के बाद भारत चूंकि रक्षा उपकरणों का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है, इसलिए प्रमुख वैश्विक कंपनियां भारतीय रक्षा बाजार में प्रवेश करने की इच्छुक हैं। इसने भारत में रक्षा प्रदर्शनी को आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना दिया है। भारत ने 2000 के दशक की शुरुआत में जाकर रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए दरवाजा खोला। उससे पहले तक रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा आयुध फैक्टरियां सरकार के नियंत्रण में ही थीं। अब अनेक भारतीय कंपनियां रक्षा विनिर्माण और अनुसंधान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल करने के लिए अपनी प्रौद्योगिकी और उत्पादों का प्रदर्शन करना चाहती हैं। भारत को उभरते रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में पेश करते हुए सरकार भारतीय निर्माताओं के लिए दुनिया भर की नवीनतम तकनीकें लाने, मेक इन इंडिया का विस्तार करने और भारत को सिर्फ आयातक के बजाय रक्षा उपकरण निर्यातक के रूप में बदलना चाहती है। रक्षा उपकरणों का डिजिटल रूपांतरण भविष्य में होने वाले युद्धों में प्रौद्योगिकी समेत कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स के महत्व का संकेत देता है। यह कार्यक्रम जीवंत प्रदर्शनों में भारतीय सैन्य शक्ति और वायु शक्ति के विमान परेड को प्रदर्शित करता है।

कुछ प्रमुख भारतीय कंपनियां इस रक्षा प्रदर्शनी में हिस्सा ले रही हैं, जिनमें लार्सन ऐंड टुब्रो, टाटा डिफेंस, अडानी डिफेंस, महिंद्रा डिफेंस आदि शामिल हैं। सैकड़ों भारतीय लघु और मध्यम रक्षा उत्पादन इकाइयां भी प्रदर्शनी में भाग ले रही हैं। डीआरडीओ खुद मौजूदा प्रदर्शनी में सभी प्रौद्योगिकी समूहों से 500 से अधिक उत्पादों का प्रदर्शन करेगा। ब्रह्मोस मिसाइल इसका प्रमुख आकर्षण है। राफेल, बीएई, बोईंग, थेल्स, लॉकहीड मार्टिन, एमडीएल, ग्रिपेन जैसी अनेक अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी आयोजन में हिस्सा ले रही हैं।

यह प्रदर्शनी रक्षा विनिर्माण और अनुसंधान प्रतिष्ठानों के लिए एक मौका है कि वे अपने उपकरणों और अनुसंधान का प्रदर्शन करें, ताकि दुनिया को रक्षा क्षमताओं में मौजूदा रुझानों के बारे में पता चल सके। एक विपणन कवायद होने के अलावा यह उन देशों के लिए एक अवसर है, जो वर्तमान और भविष्य के प्रौद्योगिकी आधार को समझने के लिए अपनी रक्षा क्षमताओं को विकसित करना चाहते हैं। यह विकासशील देशों को भावी युद्ध की प्रकृति के आधार पर अपनी आवश्यकताओं को निर्धारित करने में सक्षम बनाता है। इस रक्षा प्रदर्शनी में हजारों कंपनियां, जिनमें 165 विदेशी हैं, अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रही हैं।

यह सर्वविदित है कि भविष्य में लड़ा जाने वाला युद्ध प्रौद्योगिकी द्वारा निर्धारित होगा। इसके लिए सशस्त्र बलों और राज्य के अन्य अंगों के बीच सहज समन्वय की आवश्यकता होगी। जैसा कि मौजूदा सेना प्रमुख जनरल एम एन नरवाणे ने कहा, 'भावी युद्ध ज्यादा हिंसक और युद्ध स्थल के साथ अप्रत्याशित रूप से गंभीरता से लड़े जाएंगे। सशस्त्र बलों को अंतरिक्ष में गतिशील और तेज प्रौद्योगिक विकास तथा भावी युद्ध के साथ अंतरिक्ष क्षमताओं के सैन्यीकरण व बढ़ते एकीकरण के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता होगी।' इस प्रदर्शनी का उद्देश्य इस क्षमता का प्रदर्शन करना है।

इस प्रदर्शनी का वैश्विक स्तर पर महत्व कई अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति से स्पष्ट है। इस कार्यक्रम में चालीस से अधिक देशों के रक्षा मंत्री और सैन्य प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया, जिन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में उन लक्ष्यों को निर्धारित किया, जिन्हें भारतीय रक्षा निर्यात हासिल करने की उम्मीद करता है। उन्होंने भारतीय रक्षा स्टार्ट-अप और सूक्ष्म, लघु तथा  मध्यम दर्जे के उद्यमों के समर्थन पर भी प्रकाश डाला। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु, दोनों अपने-अपने गलियारों में  रक्षा उपकरण निर्माताओं को अपनी उत्पादन इकाइयां स्थापित करने के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं।

भारतीय निर्माताओं को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ अपनी प्रौद्योगिकी का तालमेल बिठाने के लिए मंच प्रदान किया गया है, साथ ही, यहां भविष्य के लिए गठजोड़ की संभावना भी है।

यह सवाल उठाया जाता है कि जिस देश में सशस्त्र बल गंभीर बजटीय बाधाओं का सामना करते हैं, वहां ऐसी रक्षा प्रदर्शनी देश की मदद कैसे कर सकती है। पर इस प्रदर्शनी में हिस्सा लेने वाली कंपनियां भारतीय जरूरतों के साथ-साथ बजटीय बाधाओं के बारे में भी जानती हैं और अपने उत्पादों के प्रति भी आकर्षण चाहती हैं। वे भारतीय बाजार में व्यवसाय करने की उम्मीद में प्रतिस्पर्धी मूल्य पर अपने सबसे बेहतर उत्पाद पेश करती हैं। इन कंपनियों के प्रति आकर्षण का एक बड़ा कारण यह है कि पेश की गई वस्तु की सेवा अवधि तीन से चार दशक तक की होती है और संबंधित कंपनियां निरंतर कल-पुर्जों, गुणवत्ता और रख-रखाव संबंधी सहायता प्रदान करती रहती हैं।

 एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के साथ यह बाजार न केवल भारतीय, बल्कि दक्षिण एशिया और अफ्रीका के लिए भी एक बड़े अवसर की तरह है। यह रक्षा प्रदर्शनी न केवल वैश्विक और घरेलू स्तर पर सर्वश्रेष्ठ रक्षा उपकरण निर्माताओं को आकर्षित करती है, बल्कि उन्हें अपने उत्पाद प्रदर्शित करने और भारतीय रक्षा बाजार में व्यवसाय करने के लिए मंच भी प्रदान करती है। इस दर्शनीय प्रदर्शनी में भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं का प्रदर्शन इसकी सैन्य शक्ति के बारे में ही बताता है।

सौजन्य - अमर उजाला।
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Editor - न्यूज डेस्क, नई दिल्ली. Mob- 8800256688

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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