ग्राम समाचार, दुमका। शनिवार को संथाल परगना महाविद्यालय दुमका के सामने आदिवासी छात्रों द्वारा संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संचालक मोहन भागवत का पुतला दहन किया गया।
आदिवासी छात्रों इस बात को लेकर रोष है कि संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संचालक मोहन भागवत ने 2021 की जनगणना में आदिवासी अपना धर्म हिंदू लिखवाने की बात कही है। आदिवासी छात्रों इस बयान को निंदा करते हुए पुरजोर विरोध करते हैं। इस प्रकार के धर्म प्रचारक संघ के लोगों को जो गांव में भोले भाले आदिवासी को भड़काने का काम करेगा उन्हें चिन्हित कर आदिवासी समाज उनको दंड देगी। आदिवासी छात्रों ने कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं है हिंदुओं में वर्ण व्यवस्था है जबकि आदिवासी में ऐसा कुछ नहीं है आदिवासी का हिंदुओं से अलग संस्कृति एवं सभ्यता है जो हिंदुओं से मेल नहीं खाती है। हिंदुओं में मूर्ति पूजा है जबकि आदिवासियों में मूर्ति पूजा नहीं बल्कि प्राकृतिक पूजक है। हिंदुओं का पौराणिक कथा आदिवासियों का पौराणिक कथा बिल्कुल अलग अलग है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को पुष्टि की है कि आदिवासी हिंदू नहीं है। इसके बावजूद यदि कोई भी संघ के व्यक्ति इस तरह के गलत टिप्पणी करते हैं तो हमारे आदिवासी समाज चिन्हित कर नकेल कसेंगे। आजादी के पूर्व में आदिवासी को अलग धर्म कॉलम में गिना जाता था लेकिन आज आदिवासियों को हिंदू धर्म कॉलम में गिना जा रहा है इससे आदिवासी समाज बर्दास्त नहीं करेगी। पुतला दहन कार्यक्रम में राजीव बास्की,अनंतो सोरेन,परेश मुर्मू,संजय मुर्मू,मंगल मुर्मू,मोहन सोरेन,सुरेश हेंब्रम,थॉमस मुर्मू,पलटन में मरांड़ी,अरुण कुमार सोरेन,दिलीप कुमार टुडू,उपेंद्र हेंब्रम,चंद्रशेखर बेसरा,राजेश टुडू,राजीव बास्की इत्यादि मौजूद रहे।
आदिवासी छात्रों इस बात को लेकर रोष है कि संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संचालक मोहन भागवत ने 2021 की जनगणना में आदिवासी अपना धर्म हिंदू लिखवाने की बात कही है। आदिवासी छात्रों इस बयान को निंदा करते हुए पुरजोर विरोध करते हैं। इस प्रकार के धर्म प्रचारक संघ के लोगों को जो गांव में भोले भाले आदिवासी को भड़काने का काम करेगा उन्हें चिन्हित कर आदिवासी समाज उनको दंड देगी। आदिवासी छात्रों ने कहा कि आदिवासी हिंदू नहीं है हिंदुओं में वर्ण व्यवस्था है जबकि आदिवासी में ऐसा कुछ नहीं है आदिवासी का हिंदुओं से अलग संस्कृति एवं सभ्यता है जो हिंदुओं से मेल नहीं खाती है। हिंदुओं में मूर्ति पूजा है जबकि आदिवासियों में मूर्ति पूजा नहीं बल्कि प्राकृतिक पूजक है। हिंदुओं का पौराणिक कथा आदिवासियों का पौराणिक कथा बिल्कुल अलग अलग है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को पुष्टि की है कि आदिवासी हिंदू नहीं है। इसके बावजूद यदि कोई भी संघ के व्यक्ति इस तरह के गलत टिप्पणी करते हैं तो हमारे आदिवासी समाज चिन्हित कर नकेल कसेंगे। आजादी के पूर्व में आदिवासी को अलग धर्म कॉलम में गिना जाता था लेकिन आज आदिवासियों को हिंदू धर्म कॉलम में गिना जा रहा है इससे आदिवासी समाज बर्दास्त नहीं करेगी। पुतला दहन कार्यक्रम में राजीव बास्की,अनंतो सोरेन,परेश मुर्मू,संजय मुर्मू,मंगल मुर्मू,मोहन सोरेन,सुरेश हेंब्रम,थॉमस मुर्मू,पलटन में मरांड़ी,अरुण कुमार सोरेन,दिलीप कुमार टुडू,उपेंद्र हेंब्रम,चंद्रशेखर बेसरा,राजेश टुडू,राजीव बास्की इत्यादि मौजूद रहे।
- ग्राम समाचार(दुमका)।
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