ग्राम समाचार, भागलपुर। अंगिका को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराए जाने के संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट अजीत कुमार सिंह के द्वारा मांगी गई सूचना पर भारत सरकार की गृह मंत्रालय ने सूचना उपलब्ध कराते हुए लिखा है कि "जहां तक संविधान की आठवीं अनुसूची में किसी भी भाषा के समावेश का संबंध है। वर्तमान में आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए किसी भी भाषा पर विचार करने के लिए कोई निश्चित मापदंड निर्धारित नहीं है, क्योंकि बोलियों और भाषाओं का विकास गतिशील है, जो सामाजिक आर्थिक राजनीतिक विकास द्वारा प्रभावित है। भाषाओं के लिए कोई मापदंड कठिन है, चाहे उन्हें बोलियों से अलग किया जाए या भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। अतः ऐसे निर्धारित मापदंड विकसित करने के पाहवा समिति 1996, और सीताकांत महापात्र समिति 2003 के माध्यम से किए गए दोनों प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला है। आपको सूचित किया जाता है कि सीमाकांत महापात्रा समिति की सिफारिशें के संबंध में किसी भी दस्तावेज की आपूर्ति करना रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ होगी जो प्रकटीकारण से मुक्त है। समिति की रिपोर्ट अब तक सांसद सदस्यों को भेजी सदस्यों को भेजी नहीं गई है, क्योंकि यह मामला अभी भी सरकार के विचाराधीन है। इस प्रकार इस स्तर पर संबंधित सिफारिशें और संबंधित दस्तावेज नहीं दिए जा सकते। विदित हो कि अंगिका को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने को लेकर प्रायः राजनीतिक बयान आते रहते हैं। परंतु इस दिशा में राजनीतिक कोई भी प्रयास दिखता नहीं है, राजनीतिक बयानबाजी कर तालियां बटोरने की राजनीति से यहां के जनप्रतिनिधियों को बाज आना चाहिए और इस दिशा में पहल की जानी चाहिए यहां के प्रबुद्ध जनों का अंगिका महोत्सव के द्वारा दिया जाने वाला वाला संदेश से भी जनप्रतिनिधियों पर पर कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखता है। जिसके कारण आज अंगिका की दुर्दशा है।
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Bhagalpur news:आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए किसी भी भाषा पर विचार करने के लिए कोई निश्चित मापदंड निर्धारित नहीं, आरटीआई एक्टिविस्ट अजीत सिंह के मांगी गई सूचना पर गृह मंत्रालय का जवाब
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