ग्राम समाचार, बांका। नियोजित शिक्षकों का हड़ताल अब चरम सीमा पर है और देख कर लगता है कि यह अब अनिश्चितकालीन चलेगा। कल के धरना प्रदर्शन में नियोजित शिक्षकों के साथ साथ उनके बच्चे ओर स्वजनों ने भी भाग लिया।
सम्पूर्ण बांका जिले में नियोजित शिक्षक बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले अपनी 7 सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
शिक्षकों की मांग है कि सूबे की नितीश सरकार जल्द से जल्द शिक्षक प्रतिनिधियों से इस संबंध में वार्ता करें ताकि शिक्षकों की समस्या का समाधान हो सके। दूसरी तरफ वहीं बिहार विधानपरिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि हमारी सरकार ने ही समय समय पर नियोजित शिक्षकों की वेतन में बढ़ोतरी की है और सरकार आगे भी इसपर विचार करने को तैयार है, किन्तु इस परिस्थितियों में सरकार में दबाव डालना उचित नहीं है।
वहीं इस विषय में सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला बिहार सरकार के पक्ष में देकर सरकार के हाथों को मजबूत कर दिया है। शिक्षकों ने बताया कि इस मंहगाई के दौर में इतने कम वेतन के शिक्षकों का गुजारा मुश्किल है क्योंकि नियोजित शिक्षकों को प्रत्येक महीने नियत समय पर वेतन नहीं मिलता है, मिलता भी है तो कभी दो महीने में,कभी तीन महीने में, ओर कभी कभी तो पाँच महीने भी लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षक का जीवनयापन किस तरह गुजरता है ये एक नियोजित शिक्षक ही भली भांति समझ सकता है। ऐसे में कई वर्षों से सेवा शर्त का ना बन पाना कितना दुर्भाग्यपूर्ण है। एक ओर शिक्षकों की बात माने तो, नियोजित शिक्षक वो हर काम करते हैं जो नियमित शिक्षक करते हैं किन्तु फिर भी उन्हें समान काम के बदले समान वेतन नहीं दिया जा रहा है जो सरकार की दोहरी नीति को दर्शाता है। इस आधार पर देखा जाय तो शिक्षकों की मांगें जायज है ओर इस पर विचार होना चाहिए।
सम्पूर्ण बांका जिले में नियोजित शिक्षक बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले अपनी 7 सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
शिक्षकों की मांग है कि सूबे की नितीश सरकार जल्द से जल्द शिक्षक प्रतिनिधियों से इस संबंध में वार्ता करें ताकि शिक्षकों की समस्या का समाधान हो सके। दूसरी तरफ वहीं बिहार विधानपरिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि हमारी सरकार ने ही समय समय पर नियोजित शिक्षकों की वेतन में बढ़ोतरी की है और सरकार आगे भी इसपर विचार करने को तैयार है, किन्तु इस परिस्थितियों में सरकार में दबाव डालना उचित नहीं है।
वहीं इस विषय में सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला बिहार सरकार के पक्ष में देकर सरकार के हाथों को मजबूत कर दिया है। शिक्षकों ने बताया कि इस मंहगाई के दौर में इतने कम वेतन के शिक्षकों का गुजारा मुश्किल है क्योंकि नियोजित शिक्षकों को प्रत्येक महीने नियत समय पर वेतन नहीं मिलता है, मिलता भी है तो कभी दो महीने में,कभी तीन महीने में, ओर कभी कभी तो पाँच महीने भी लग जाते हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षक का जीवनयापन किस तरह गुजरता है ये एक नियोजित शिक्षक ही भली भांति समझ सकता है। ऐसे में कई वर्षों से सेवा शर्त का ना बन पाना कितना दुर्भाग्यपूर्ण है। एक ओर शिक्षकों की बात माने तो, नियोजित शिक्षक वो हर काम करते हैं जो नियमित शिक्षक करते हैं किन्तु फिर भी उन्हें समान काम के बदले समान वेतन नहीं दिया जा रहा है जो सरकार की दोहरी नीति को दर्शाता है। इस आधार पर देखा जाय तो शिक्षकों की मांगें जायज है ओर इस पर विचार होना चाहिए।
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