ग्राम समाचार,बांका। बौंसी क्षेत्र का सिकन्दरपुर गांव जहां सड़क तो है पर ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये सड़क सिर्फ नाम का है। इस सड़क पर लोग प्रतिदिन इतना पानी बहाते हैं कि अब इस सड़क पर लोगों का चलना मुश्किल हो गया है ओर कब यह सड़क नाली में तब्दील हो गया पता ही नही चला।
सोचने वाली बात ये है कि यह पूरे गांव की मुख्य सड़क है और इस सड़क पर हर वक्त लोगों का आना जाना होता रहता है परंतु इस गांव का ये दुर्भाग्य है कि नाली ना रहने के कारण लोग पानी को सड़कों पर निकाल रहे हैं।
अगल बगल के गांव के लोग सुबह सुबह इसी रास्ते से सुप्रसिद्ध शिव मंदिर पिपेश्वरनाथ पूजा करने जाते है जिसकारण श्रद्धालुओं को खासी परेशानी होती है,इसके अलावा मोटरसाइकिल, बाइक और साईकिल सवारों को पिछड़ कर गिरने का भी भय बना रहता है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को जब सुबह नहा धोकर स्कूल जाना होता है तब उनको भी इसी गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है।
एक ओर सरकार जहां स्वच्छ भारत अभियान चला रही हैं दूसरी ओर वही इस गांव को देखने वाला कोई नही।चाहे हिन्दू का पर्व हो या फिर मुसलमानों का त्योहार ये सड़क कभी नहीं सूखती। ग्रामीणों की माने तो नाली निर्माण ही इस समस्या का निदान है परंतु अभी तक इस समस्या का समाधान करने के लिए ना तो कोई जनप्रतिनिधि सामने आया है ओर ना ही कोई पदाधिकारी।
सोचने वाली बात ये है कि यह पूरे गांव की मुख्य सड़क है और इस सड़क पर हर वक्त लोगों का आना जाना होता रहता है परंतु इस गांव का ये दुर्भाग्य है कि नाली ना रहने के कारण लोग पानी को सड़कों पर निकाल रहे हैं।
अगल बगल के गांव के लोग सुबह सुबह इसी रास्ते से सुप्रसिद्ध शिव मंदिर पिपेश्वरनाथ पूजा करने जाते है जिसकारण श्रद्धालुओं को खासी परेशानी होती है,इसके अलावा मोटरसाइकिल, बाइक और साईकिल सवारों को पिछड़ कर गिरने का भी भय बना रहता है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को जब सुबह नहा धोकर स्कूल जाना होता है तब उनको भी इसी गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है।
एक ओर सरकार जहां स्वच्छ भारत अभियान चला रही हैं दूसरी ओर वही इस गांव को देखने वाला कोई नही।चाहे हिन्दू का पर्व हो या फिर मुसलमानों का त्योहार ये सड़क कभी नहीं सूखती। ग्रामीणों की माने तो नाली निर्माण ही इस समस्या का निदान है परंतु अभी तक इस समस्या का समाधान करने के लिए ना तो कोई जनप्रतिनिधि सामने आया है ओर ना ही कोई पदाधिकारी।
ब्यूरो रिपोर्ट, ग्राम समाचार, बांका
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