80 से अधिक खिलाड़ियों की सक्रिय भागीदारी:
इस अवसर पर विभिन्न खेल विधाओं से जुड़े लगभग 80 खिलाड़ियों ने उत्साहपूर्वक अपनी सहभागिता दर्ज कराई। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, एथलेटिक्स सहित अन्य खेलों के युवा और अनुभवी खिलाड़ी इस महत्वपूर्ण आयोजन का हिस्सा बने। खिलाड़ियों की यह सक्रिय भागीदारी दर्शाती है कि वे समाज में एक स्वस्थ और नशामुक्त वातावरण बनाने के लिए कितने गंभीर हैं।
सेमिनार के मुख्य बिंदु: दुष्प्रभाव और प्रेरणा:
सेमिनार के माध्यम से उपस्थित खिलाड़ियों को मादक पदार्थों के गंभीर दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे नशे का सेवन न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है, बल्कि यह खेल जीवन और करियर पर भी बेहद प्रतिकूल असर डालता है। खिलाड़ियों को समझाया गया कि नशे की लत उनके प्रदर्शन, एकाग्रता और भविष्य के सपनों को कैसे तबाह कर सकती है।
इसके साथ ही, उन्हें नशा से दूर रहने, एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और अपने आस-पास के युवाओं को भी इस बुराई से बचाने के लिए जागरूक करने हेतु प्रेरित किया गया। खिलाड़ियों को समाज में नशा उन्मूलन के संदेश को प्रभावी रूप से प्रसारित करने और एक 'नशा मुक्त भारत' के निर्माण में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
खिलाड़ी समाज के आदर्श: डीएसओ का संदेश
कार्यक्रम में जिला खेल पदाधिकारी (डीएसओ) ने अपने संबोधन में खिलाड़ियों की भूमिका पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा, "खिलाड़ी समाज में अनुकरणीय आदर्श होते हैं। उनकी फिटनेस, अनुशासन और समर्पण युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनते हैं।" डीएसओ ने आगे कहा कि खिलाड़ियों के माध्यम से नशा विरोधी संदेश को प्रभावी रूप से आमजन तक पहुँचाया जा सकता है, क्योंकि लोग अपने पसंदीदा खिलाड़ियों की बात को गंभीरता से सुनते और मानते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये खिलाड़ी न केवल स्वयं नशे से दूर रहेंगे, बल्कि समाज में नशामुक्ति के सच्चे दूत बनकर उभरेंगे।
यह सेमिनार हज़ारीबाग जिला खेल विभाग की उस व्यापक जागरूकता अभियान का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य जिले को मादक पदार्थ मुक्त बनाना और युवाओं को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करना है।
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