मौलाना सैयद शाह फख़्र आलम हसन और महंत सबोध कांत झा का संदेश: एकता, भाईचारा और इंसानियत ही ईद का असली पैग़ाम
ग्राम समाचार,भागलपुर। खानकाह पीर दमड़िया शाह खलीफा बाग भागलपुर में शनिवार को ईद-उल-अज़हा की रौनकदार नमाज़ अदा की गई। जिसमें हजारों मोमिनों ने शिरकत की। नमाज़ के बाद खानकाह के सज्जादानशीन मौलाना सैयद शाह फखरे आलम हसन ने लोगों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि ईद-उल-अज़हा सिर्फ क़ुर्बानी का दिन नहीं, बल्कि यह इंसानियत, मोहब्बत और त्याग का प्रतीक है। उन्होंने कहा हम अपने रहमों-करम वाले परवरदिगार की बारगाह में हाज़िर होकर शुक्र अदा करते हैं, और इसी शुक्र के जज़्बे से अपनी खुशियाँ दूसरों में बाँटते हैं। यही है हिंदुस्तान की असली रूह – मोहब्बत, भाईचारा और एकता। मौलाना हसन ने कहा कि हमें चाहिए कि हम अपनी खुशियों में गरीबों, बेसहारा लोगों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और बुज़ुर्गों को भी शामिल करें, यही ईद का असली पैग़ाम है। नमाज़ के बाद जब तकबीर-ए-ईद की सदाएं बुलंद हुईं। अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिल हम्द, तो मौलाना ने कहा कि ये महज़ शब्द नहीं, बल्कि ईमान की पुकार और रब की महानता का एलान है।
इस मौके पर धर्मों के बीच आपसी सौहार्द और भाईचारे की खूबसूरत मिसाल उस समय देखने को मिली जब भगवती कुल देवी माता परमेश्वरी देवी मंदिर के महंत सबोध कांत झा शाही मस्जिद पहुँचे और मुस्लिम भाइयों को ईद की बधाई दी। महंत झा ने कहा हमारी ईद हमारे बुज़ुर्गों की दुआओं और रहनुमाई का नतीजा है। हज़रत फख़रे आलम हसन जैसे रूहानी रहनुमा ने हमें सिखाया कि गरीबों की सेवा और इंसानियत की भलाई ही असल इबादत है। उन्होंने कहा गरीब का आँसू तलवार की धार से भी ज़्यादा तेज़ होता है। उनकी दुआएं सितारों की तरह चमकती हैं। वे अपनी कमाई दूसरों की खुशियों पर लुटाते हैं — और लुटाते रहेंगे। अपने साझा संदेश में दोनों धार्मिक नेताओं ने कहा जब हिंदू और मुसलमान आपस में भाई-भाई बनकर साथ रहेंगे, तभी हमारा भारत सिर्फ एक मुल्क नहीं बल्कि जन्नत का नमूना बन जाएगा। आख़िर में मौलाना फख़रे आलम हसन ने कहा आइए, आज के दिन हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम एकजुट होकर अपने वतन को अमन, मोहब्बत और तरक़्क़ी का गहवारा बनाएँगे।
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