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राजीव कुमार, प्रधान संपादक, ग्राम समाचार |
एक महत्वाकांक्षी योजना का निराशाजनक सच
झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई अबुआ आवास योजना का उद्देश्य राज्य के गरीब और जरूरतमंद परिवारों को अपना घर उपलब्ध कराना था। यह योजना নিঃসন্দেহে एक सराहनीय पहल थी, जिसका लक्ष्य हाशिए पर खड़े लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना था। हालांकि, जिस प्रकार से इस योजना का क्रियान्वयन हो रहा है, उससे न केवल इसकी मंशा पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि यह गरीबों के सपनों पर भी कुठाराघात करती प्रतीत हो रही है। पूरे राज्य से ऐसी खबरें आ रही हैं जो इस योजना में व्याप्त गंभीर गड़बड़ियों की ओर इशारा करती हैं।
लाभार्थियों के चयन में अनियमितताएं, अपारदर्शिता और भाई-भतीजावाद के आरोप आम हो गए हैं। वास्तविक जरूरतमंदों को छोड़ दिया जा रहा है, जबकि ऐसे लोग लाभ उठा रहे हैं जो इसके पात्र नहीं हैं। कई स्थानों पर स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से अपात्र लोगों को आवास आवंटित किए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। यह न केवल योजना के मूल उद्देश्य को विफल करता है, बल्कि समाज में असमानता और असंतोष को भी जन्म देता है।
निर्माण कार्यों की गुणवत्ता भी एक गंभीर चिंता का विषय है। कई लाभार्थियों ने घटिया सामग्री के इस्तेमाल और निर्माण में लापरवाही की शिकायतें की हैं। कमजोर नींव, दीवारों में दरारें और छत से पानी टपकना जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि निर्माण कार्यों की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण में गंभीर कमियां हैं। गरीबों को एक सुरक्षित और टिकाऊ घर उपलब्ध कराने का वादा अधूरा ही रह जाता है, यदि उन्हें ऐसे आवास मिलते हैं जो कुछ ही समय में जर्जर होने लगें।
इसके अतिरिक्त, आवास आवंटन में देरी भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। कई लाभार्थी महीनों और वर्षों से अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं। प्रशासनिक सुस्ती और विभिन्न स्तरों पर तालमेल की कमी के कारण परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पा रही हैं। यह देरी न केवल लाभार्थियों को निराश करती है, बल्कि उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक ऐसी योजना जिसका उद्देश्य गरीबों को सहारा देना था, वह भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का शिकार हो रही है। सरकार को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और पूरे राज्य में अबुआ आवास योजना के क्रियान्वयन की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए। दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों की पुनरावृत्ति न हो।
इसके साथ ही, सरकार को लाभार्थी चयन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना होगा। एक सुदृढ़ निगरानी तंत्र स्थापित करना होगा जो निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करे। परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है।
अबुआ आवास योजना झारखंड के गरीब और वंचित लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण थी। इस उम्मीद को टूटने से बचाना सरकार की जिम्मेदारी है। यदि समय रहते इन गड़बड़ियों को दूर नहीं किया गया, तो यह योजना न केवल अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल रहेगी, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता पर भी एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर देगी। यह आवश्यक है कि -
ऑनलाइन लाभार्थी सूची का सार्वजनिक प्रकाशन किया जाए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
शिकायतों की जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी का गठन हो जो किसी राजनीतिक दबाव में न हो।
दोषी कर्मियों और अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
जनता की भागीदारी बढ़ाने के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से चयन प्रक्रिया को मजबूत किया जाए।
योजना की निगरानी के लिए सोशल ऑडिट की व्यवस्था की जाए।
इस मामले में सरकार को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने चाहिए ताकि अबुआ आवास योजना वास्तव में गरीबों का आवास बन सके, न कि भ्रष्टाचार का अड्डा।
- राजीव कुमार, प्रधान संपादक, ग्राम समाचार।
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