अपनी जिंदगी को भौतिकतावाद की बुराइयों से करें मुक्त:सैयद हसन
ग्राम समाचार, भागलपुर। खानकाह पीर दमड़िया शाह खलीफा बाग वक्फ शाह इनायत हुसैन 159 के तहत खलीफा बाग के जामा मस्जिद में में इफ्तार का आयोजन किया गया। इस पवित्र आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु, प्रतिष्ठित हस्तियां, उलेमा और आम जनता ने हिस्सा लिया। इस विशेष इफ्तार पार्टी का उद्देश्य रमजान के आध्यात्मिक आशीर्वाद और इस्लामी भाईचारे को बढ़ावा देना था। इस आध्यात्मिक सभा के लिए जामा मस्जिद खलीफा बाग को सुंदर तरीके से सजाया गया था। मेहमानों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। रोज़ेदारों के लिए खजूर, फल, शरबत और विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों की व्यवस्था की गई थी। खानकाह की प्रशासन समिति और स्थानीय श्रद्धालुओं ने मिलकर सभी तैयारियों को बेहतर तरीके से संपन्न किया। इफ्तार के अवसर पर शाह मार्केट के दुकानदारों, स्थानीय लोगों और खानकाह के श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। स्थानीय उलेमा-ए-किराम ने भी इस आध्यात्मिक सभा में शिरकत की और इफ्तार की फज़ीलत (महिमा) पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि रमजान का महीना सब्र, त्याग और इबादत का महीना है और इसमें अल्लाह की रज़ा के लिए रोज़ेदारों को इफ्तार कराना बहुत बड़ा पुण्य है। इफ्तार के बाद मस्जिद में मगरिब की नमाज अदा की गई, जिसके बाद सामूहिक दुआ का आयोजन किया गया। इस दुआ में पूरी उम्मत (समुदाय) की भलाई, देश में शांति और स्थिरता तथा समाज की तरक्की के लिए विशेष प्रार्थनाएं की गईं। इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने अल्लाह तआला से माफी, रहमत और बरकत की दुआ मांगी। इफ्तार से पहले खानकाह पीर दमड़िया शाह के सज्जादा नशीन मौलाना सैयद शाह फखर आलम हसन ने पूरी उम्मत (इस्लामी समाज) को संबोधित करते हुए कहा कि रमजान के कुछ ही दिन शेष रह गए हैं और हम इस पवित्र महीने का आखिरी जुमा भी अदा कर चुके हैं। अब रमजान हमसे विदा होने को है। ऐसे में मेरी पूरी मुस्लिम उम्मत से अपील है कि जिस ईमानी जोश और उत्साह के साथ आपने इस पवित्र महीने में रोजे रखे, नमाजें अदा कीं, कुरान की तिलावत की और इबादत में मशगूल रहे, उसी जोश के साथ अपनी पूरी जिंदगी व्यतीत करें। उन्होंने आगे कहा कि मस्जिदों से अपना संबंध मजबूत रखें, उन्हें आबाद रखें और अपने आचरण से किसी को कष्ट न पहुंचाएं। धैर्य और संयम को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और अल्लाह तआला द्वारा दी गई नेमतों को गरीबों और जरूरतमंदों में बांटें। ईद की खुशियों में उन वंचित लोगों को भी शामिल करें जो इस खुशी से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने पूर्वजों (असलाफ) के पदचिन्हों पर चलने की आवश्यकता है। ईश्वर और मनुष्य के बीच जो दूरी बढ़ गई है, उसे कम करने की कोशिश करें और अल्लाह से नजदीकी हासिल करें। अपनी जिंदगी को भौतिकतावाद की बुराइयों से मुक्त करें और हमेशा अल्लाह की रहमत पाने की कोशिश करें। उन्होंने यह भी कहा कि यह दुनिया क्षणभंगुर (कुछ दिनों की) है और मृत्यु की सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए इससे पहले कि मृत्यु हमें आ ले, हमें अपनी तैयारी पूरी कर लेनी चाहिए। अल्लाह हमें धर्म पर स्थिरता और अच्छे कर्मों की तौफीक (सामर्थ्य) प्रदान करें। इस अवसर पर सैयद शाह अली सज्जादा, सैयद शाह अन्स, सैयद हम्माद, सैयद साद हुसैनी, प्रोफेसर देव मुखर्जी, अनुप कुमार, डीएस अय्यूब अहमद, नदीम हसन, मोहम्मद अहमद, हुजैफा शाह, मुफ्ती सलमान, सज्जाद खान आदि उपस्थित रहे।
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