बोरियो, जो साहिबगंज और गोड्डा जिले में फैला हुआ है, संताल परगना क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है और यह अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित सीट है। यहां पर हमेशा से ही झामुमो और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है। 2005 और 2014 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि 2009 और 2019 में झामुमो विजय रहा था। परिवार के साथ खेतों में मिट्टी तक काटने वाले लोबिन हेंब्रम शुरू से मिलनसार नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई।
वर्ष 1990 में बोरियो सुरक्षित सीट से लोबिन हेंम्ब्रम पहली बार चुनाव लड़े और जीते। वर्ष 1995 में झामुमो सुप्रीमो ने बोरियो से जॉन हेंब्रम को अधिकृत प्रत्याशी बना दिया। इसके बावजूद लोबिन हेंब्रम ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और चुनाव जीत कर सब को चौंका दिया।
हाल ही में संपन्न हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में लोबिन हेंम्ब्रम ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े होकर अपने ही पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, जिसमें वे तीसरे स्थान पर रहे। इस घटनाक्रम ने उनके खिलाफ पार्टी के अंदर असंतोष को बढ़ावा दिया और अंततः उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई। इसके बाद लोबिन हेंब्रम ने बीजेपी का रुख कर लिया, और अब वे बीजेपी के सदस्य बन गए हैं।
बोरियो विधानसभा हमेशा से हॉट सीट रही है, जहां मुख्य रूप से बीजेपी और झामुमो के उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर होती रही है। इस बार लोबिन हेंम्ब्रम के बीजेपी में शामिल होने के बाद इस क्षेत्र की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। चुनावी माहौल में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है। चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि बोरियो विधानसभा क्षेत्र का ताज किसके सिर बंधेगा, लेकिन फिलहाल इस समय दोनों प्रमुख नेता एक ही मंच पर खड़े नजर आ रहे हैं, जो पहले एक-दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी थे। 2024 के विधानसभा चुनाव में इस बार बोरियो विधानसभा क्षेत्र में जनता का मूड क्या रहेगा और किसे जीत मिलेगी, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन जो भी हो, इस बार का चुनाव निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक मुकाबला होगा।
-ग्राम समाचार ब्यूरो रिपोर्ट, संथाल परगना(झारखंड)।
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