ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। एक जमाना था जब छोटे-छोटे बच्चे स्कूल और अपने गुरु जी के घर पर विद्यालय जाने से बचते थे. विद्यालय नहीं जाना पड़े के लिए तरह-तरह के बहाने बना करते थे. लेकिन समय बदला शिक्षा और शिक्षक का पढ़ाने का पैटर्न बदला, शिक्षकों ने हाल के दिनों में अपनी कई गतिविधियों से बच्चों का दिल जीता है. और वह अब विद्यालय जाने पर भागते नहीं बल्कि बच्चे विद्यालय जाने की जिद करते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है. बाराहाट प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय सिरमाटीकर की शिक्षिका कविता कुमारी ने कविता कुमारी में इस विद्यालय में जहां अपने योगदान के समय बच्चों की उपस्थिति नगण्य देखी थी. वही उनके मन में यह टीस हर वक्त उभरा करती थी. कि काश उनका विद्यालय बच्चों से भरा रहे और उन्होंने इसी के लिए बच्चों को विद्यालय तक लाने के लिए अपने पढ़ाने के अंदाज को बदल डाला. उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों के बीच गाना गाकर ठुमके लगाकर या फिर अपनी भाव भंगिमा बनाकर बच्चों को खूब हंसाया करती. धीरे-धीरे उनका यह रूप उनका यह जलवा बच्चों के सिर चढ़कर बोलने लगा और धीरे-धीरे गांव में चर्चा का विषय बन गया. बच्चे अब स्कूल जाने की जिद करने लगे मंगलवार को भी शिक्षिका एक कविता का पाठ कर रही थी. जिसके लाइन थे.
"एक बुढिया ने बोया दाना,गाजर का था पौध लगाना,गाजर हाथों हाथ बढ़ी,खूब बढ़ी री खूब बढ़ी"
और बच्चों को गोल घेरे में लेकर बच्चों के बीच नाच रहे थे बच्चे भी शिक्षिका का अनुसरण कर नाच गा रहे थे।
बातचीत के दौरान शिक्षिका कविता कुमारी ने बताया कि उन्होंने पंचायत शिक्षक के तौर पर वर्ष 2006 में विद्यालय में योगदान दिया था. उस वक्त विद्यालय के पोषक क्षेत्र में अभिभावक शिक्षा के प्रति जरा भी जागरूक नहीं थे जो देखकर उन्हें बहुत ही अफसोस हुआ उसके बाद उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा और बच्चों को घर-घर जाकर लाना शुरू किया उन्होंने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा आंध्र प्रदेश में हुई है. क्योंकि उनके माता और पिता जी वहीं पर नौकरी करते हैं उन्होंने बताया कि उनकी शिक्षा में वहां के शिक्षकों के द्वारा काफी गतिविधियां कराई जाती थी जिसको लेकर उन्होंने भी अपने कार्य क्षेत्र में से अपनाना शुरू किया वर्तमान समय में वह चाहते कि मास्टर ट्रेन अभी है और कई बार राज्य स्तर पर आयोजित प्रशिक्षण में अपना हुनर दिखा चुके हैं कुल मिलाकर विद्यालय में तैनात 3 शिक्षक जिसने विद्यालय प्रधान शैलेश तिवारी एवं शिवम कुमार ने भी शिक्षिका के पढ़ाने के अंदाज़ की प्रशंसा की।
कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें