Rewari News : आयुष विभाग द्वारा चौथा राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर शिविर का आयोजन



ग्राम समाचार न्यूज : रेवाड़ी : राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर प्राकृतिक चिकित्सा एवं समस्त आयुष चिकित्सा विधाओ के कैंप के तौर पर आयुष विभाग रेवाड़ी द्वारा मनाया गया। इस उपलक्ष पर मंच का संचालन श्री राकेश छिल्लर योगा आचार्य जी ने किया। 



कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉक्टर राजेश कुमार सिरोहा ने किया, श्री राकेश छिल्लर जी ने प्राकृतिक चिकित्सा की जानकारी उपस्थित दर्शकों को देते हुए बताया कि  बहुत अधिक साफ-सफाई व हाइजीन का खुमार हमें प्रकृति से दूर ले जा रहा है। इसके नतीजे भी सामने हैं। हालांकि कम उम्र में जीवनशैली से जुड़े रोगों से परेशान हो चुके लोग एक बार फिर प्रकृति की ओर लौट रहे हैं। रेवाड़ी जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ सुमन कुमार काजल ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा, ग्रीन थेरेपी आदि के रूप में एक बड़ा बाजार भी बन गया है।मानव शरीर पांच तत्वों से बना होता है; मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु और शून्य अथवा आकाश। इन्हें पंच महाभूत या पंच तत्व भी कहा जाता है। ये सभी तत्व शरीर के सात प्रमुख चक्रों में बंटे हैं। सात चक्र और पांच तत्वों का संतुलन ही हमारे तन व मन को स्वस्थ रखता है। इन पांच तत्वों का उल्लेख हमारे वेदों में तो है ही, पश्चिमी विद्वानों ने भी सेहत के लिए इनकी भूमिका को स्वीकार किया है। पांचवीं सदी के महान ग्रीक चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने कहा था कि किसी व्यक्ति की सेहत शरीर के चार द्रवों के संतुलन पर निर्भर करती है, जो प्राकृतिक तत्वों वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी के अनुरूप होते हैं। मुख्य अतिथि डॉ बाल योगेश्वर शर्मा ने उपस्थित दर्शक गणों को अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि पांच तत्वों का संतुलन जरूरी है किसी एक तत्व का नहीं, पांचों तत्वों में संतुलन बनाकर ही आप अच्छी सेहत पा सकते हैं। प्रकृति के ये पांच तत्व हमारे शरीर के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 


मिट्टी: पृथ्वी या मिट्टी, हमारे शरीर के उन अंगों के निर्माण से जुड़ी है, जो कठोर और भारी हैं। जैसे हड्डियां, दांत, मांस, त्वचा, बाल, मूंछें, नाक आदि। 

अग्नि: अग्नि उन अंगों के निर्माण के लिए आवश्यक है, जो गर्म और तीव्र प्रकृति के हैं। दृष्टि, नजर, शरीर की ऊष्मा, तापमान, रंग, चमक, क्रोध, साहस आदि। 



जल: यह तत्व उन अंगों के निर्माण के लिए जरूरी है, जो तरल, मुलायम, ठंडे और चिकने होते हैं, जैसे लिम्फ, रक्त, मांसपेशियां, वसा, कफ, पित्त, मूत्र, सीमन, बॉडी फ्लूइड व जीभ आदि। 



वायु: यह उन तत्वों के निर्माण के लिए जरूरी है, जिनकी प्रकृति सूखी और हल्की होती है। यह तत्व शरीर की गति और मूवमेंट्स से भी जुड़ा है, जैसे गति, नाड़ी, सभी संवेदी और तंत्रिका संबंधी गतिविधियां, श्वसन, आंखों का खुलना और बंद होना आदि।

आकाश: यह उन तत्वों के निर्माण के लिए जरूरी है, जो हल्की और सघन प्रकृति के होते हैं। यह दो अंगों को एक दूसरे से अलग करता है और उनके बीच खाली स्थान का निर्माण करता है, जैसे रक्त नलिकाएं, मांसपेशियां, टेंडन और मुलायम ऊतक। 



आयुष विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों समेत मुख्य अतिथि डॉक्टर बाल योगेश्वर शर्मा द्वारा पूरे विधि विधान से भगवान श्री धन्वंतरि जी की धूप दीप प्रज्वलित कर उपासना करी गई इसके अतिरिक्त एक प्रदर्शनी भी लगाई गई । इस अवसर पर जिले का आयुष स्टाफ मौजूद रहा जिसमें प्रमुख तौर पर डॉ पूनम शर्मा पंचकर्म विशेषज्ञ, डॉक्टर शशि बाला, डॉ प्रीति, डॉ नरेश राव, डॉ अमरजीत यादव व डॉ मनोज यादव के अलावा फार्मासिस्ट रायसिंह, अनीता रानी, अशोक, राकेश , सुनील तँवर सुनील कंवर व मुख्य फार्मासिस्ट अधिकारी श्री राजपाल, योग सहायक जयदीप आर्य, सतीश कुमार मौजूद रहे । योगाचार्य श्री राकेश छील्लर ने प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न क्रियाओं को प्रदर्शित किया जिसमें मिट्टी का लेप जल नेती इत्यादि का प्रदर्शन कर उपस्थित दर्शक गणों का मन मोह लिया। जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ सुमन कुमार काजल ने मुख्य अतिथि एवं व्याख्यान करता डॉ बाल योगेश्वर शर्मा को स्मृति स्वरूप एक गमले में लगा पौधा भेंट किया एवं विभाग द्वारा तय  मानदेय भी भेंट किया।  इस अवसर पर 182 मरीजों की जांच एवं उपचार किया गया इस अवसर पर समस्त जिला आयुष विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी गण मौजूद रहे । 

Share on Google Plus

Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

ग्राम समाचार से आप सीधे जुड़ सकते हैं-
Whatsaap Number -8800256688
E-mail - gramsamachar@gmail.com

* ग्राम समाचार से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें

* ग्राम समाचार के "खबर से असर तक" के राष्ट्र निर्माण अभियान में सहयोग करें। ग्राम समाचार एक गैर-लाभकारी संगठन है, हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें।
- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें