ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। ऐतिहासिक मंदार पर्वत की तराई स्थित पापहरणी सरोवर प्रशासनिक उदासीनता के कारण मौत की स्थली बनकर रह गया है। इस वर्ष मार्च महीने से अब तक करीब आधे दर्जन लोगों की डूबने से मौत हो चुकी है। जबकि पिछले वर्ष करीब एक दर्जन लोगों की सरोवर में डूबने से मौत हुई थी। बाबजूद इसके सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। स्थिति ऐसी है कि पापहरनी सरोवर में अब तक बैरिकेडिंग भी नहीं की गई है। इसके अलावा खतरे के निशान को भी चिन्हित नहीं किया गया है। इस बजह से लोग आए दिन गहरे पानी में डूब कर अपनी जान गंवा रहे हैं। हालांकि मकर संक्रांति के अवसर पर प्रशासन के द्वारा बांस व रस्सी की बैरिकेडिंग की जाती है, परन्तु बैरिकेडिंग स्थाई नहीं होने से कुछ दिनों में वह टूट कर अलग हो जाती है। इतना ही नहीं प्रशासन द्वारा इतनी मौत होने के
बावजूद भी स्थाई रूप से गोताखोर की तैनाती भी नहीं की गई है। स्थानीय लोगों ने कहाना है कि, धार्मिक आस्था का केंद्र मंदार पापहरणी सरोवर श्रद्धालुओं के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। मालूम हो कि डूबने से 12 लोगों की मौत पिछले साल हुई थी। बताते चलें कि, 25 मार्च को बाजार के मारवाड़ी टोला निवासी सागरमल भालोटिया की 40 वर्षीय पुत्री महिला कंचन भलोटिया की डूब कर मौत हो गई थी। वहीं 17 मई को झारखंड राज्य के गोड्डा जिले अंतर्गत लुकलुकी गांव के 40 वर्षीय संजीव मंडल की पापहरणी सरोवर में स्नान करने के दौरान मौत हो गई थी। साथ ही 25 जून को बांका के पोखरिया गांव निवासी 45 वर्षीय शिव कुमार पंडित अपने भतीजा बाराहाट थाना क्षेत्र के भंगा गांव के 15 वर्षीय अमित कुमार के साथ स्नान करने आया था। इसी दौरान भतीजा को डूबते देख फूफा बचाने गए। जिसमें दोनों की जान चली गई थी। इतनी सारी घटनाओं के बावजूद भी प्रशासनिक उदासीनता के कारण इस दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है।
इस बाबत अंचलाधिकारी विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि, पापहरणी तालाब में लोहे की बैरीकेडिंग के लिए अनुशंसा की गई है। जिला पर्यटन पदाधिकारी द्वारा पापहरणी सरोवर में पर्यटन विभाग को बैरिकेडिंग, फाउंटेन एवं गाद निकालने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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