ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। सरकार द्वारा बुनकरों के उत्थान पर चर्चा लगातार की जाती है, जबकि बुनकरी इन दिनों हाशिये पर है। इसे आगे बढ़ाने की जरुरत है। हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हर साल सात अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। पर सरकारी अनुदान नहीं मिलने से प्रखंड क्षेत्र के बुनकर बहुल गांव डहुआ, बेना, हेचला में बुनकर अपने पुश्तैनी रोजगार से दूर होते जा रहे हैं। बुनकर संघ के अध्यक्ष मुरताज अंसारी ने बताया कि, डहुआ गांव में करीब एक हजार पावर लूम में 724 पंजीकृत हैं, लेकिन अभी चालू अवस्था में मात्र 50 ही बचा हुआ है। अधिकांश पावरलूम पूंजी के अभाव में बंद है। इसके अलावा डहुआ एवं आसपास के बुनकर गांव में 184 में मात्र दस हैंडलूम ही चालू अवस्था में है। बुनकरों द्वारा तैयार किये गये कपड़े के लिए बाजार नहीं रहने के कारण उचित मूल्य कपड़े का नहीं मिल पाता है। प्रखंड के बुनकरों द्वारा तैयार किया गया गमछा, लूंगी, चादर एवं
आदिवासी परिधान के लिए प्रसिद्ध है। डहुआ गांव एवं आसपास में करीब 15 हजार से अधिक बुनकर हैं। पावरलूम एवं हैंडलूम बंद होने के कारण रोजगार से वंचित हो गए हैं। मौके पर सिबतुला अंसारी, इसुफ अंसारी, नेसार अंसारी, अब्दुल रसीद, खुरसीद अंसारी, नजीर अंसारी, हाजी बसीर, हसीब अंसारी, मंसुर आलम, तकसीम अंसारी, युसुफ अंसारी, मकसुद अंसारी, मंजुर अंसारी, इफ्तखार अंसारी, साजीत अंसारी सहित अन्य ने बताया कि अब तक कलस्टर का निर्माण नहीं हुआ है। इस कारण से बुनकरों को प्रशिक्षण के अलावा अन्य सुविधा नहीं मिल पा रही है। कार्यशील पूंजी भी बंसीपुर, बढ़ैत गांव के बुनकरों को दी गई है। जहां पर बुनकरी का धंधा बहुत पहले ही बंद है। बिजली बिल में सब्सिडी नहीं दी गई है। पिछले दो साल में लाकडाउन के कारण बुनकरों की आर्थिक स्थिति और भी बदतर हो गई। उद्योग विभाग के महाप्रबंधक नरेश दास ने बताया कि, बुनकरों के लिए कलस्टर निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा बुनकरों को व्यवसाय के लिए बुनकर मुद्रा योजना से एवं कार्यशील पूंजी भी दी जा रही है। बुनकरों को कम दर पर बिजली के लिए मुख्यालय रिपोर्ट भेजी गयी है। बुनकरों की आर्थिक सुविधा के लिए कई प्रकार का कार्य विभाग द्वारा किया जा रहा है।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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