पूर्व स्वास्थ्यमंत्री डा. एमएल रंगा ने मिलकर नगरपालिका रेवाड़ी के प्रांगण में एवं शहर के माॅडल टाउन स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर मालार्पण का उनको नमन किया। तत्पश्चात माॅडल टाउन स्थित पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मालार्पण किया एवं पुष्प अर्पित किए और साथ ही साथ जोरशोर से एक साथ मिलकर जय जवान-जय किसान के नारे लगायें। इस अवसर पर डा. एमएल रंगा ने अपने संबोधन में बताया कि महात्मा गांधी सत्य व अहिंसा के पुजारी रहे है। अफ्रीका प्रवास के दौरान जब उन्होंने काले व गोरे में भेद करने वाले गौरों के खिलाफ एक हिंद महासभा का गठन भी किया और नटाल कांग्रेस की स्थापना की जिसके माध्यम से लाखों एशियाई लोग गोरों के खिलाफ हो गए। उन सभी ने महात्मा गांधी का नेतृत्व स्वीकार कर समानता के अधिकारों की लडाई के लिए एकजुट हो गए। तभी 194 ई. में गोपाल कृष्ण गोरवले को अपना नेता मानकर महात्मा गांधी ने भारत वापिस आना स्वीकार कर लिया क्योंकि यहां पर भी ब्रिटिश हुकुमत लगाकार ज्यादतियां कर रही थी। सबसे पहले खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व किया, तत्पश्चात 1917 ई. में चंपारण बिहार व 1918 ई. में खेडा गुजरात के किसान आंदोलन का नेतृत्व कर अंग्रेजों के काले कानूनों नील की खेती से किसानों को मुक्त करवाया। इतना ही नहीं महात्मा गांधी ने वल्लभभाई पटेल, गोपाल कृष्णा गोखले, मोतीलाल नेहरू आदि के साथ मिलकर दांडी यात्रा का नमक आंदोलन सफल बनाया और भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए, सहयोग आंदोलन शुरू किया एवं भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई। आज भी देश में उनकी पहचान सत्य व अहिंसा के पुजारी के रूप में है। उनसे प्रभावित होकर रविन्द्रनाथ टैगोर जी ने गांधी को महात्मा की उपाधि से सुशोभित किया।
आज पूरे विश्व में राष्ट्रपिता के नाम से जाने जाने वाले केवल महात्मा गांधी ही है। हम सभी को उनके बतायेंह ुए मार्ग पर चलना चाहिए। डा. एमलएल रंगा ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार से आग्रह किया कि जिस किसान आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने 1917 ई. में चंपारण बिहार में और 1918 ई. खेड़ा गुजरात में किया जिसमें ब्रिटिश सरकार ने नील फसल का 3 गठिया कानून काला कानून भी वापिस ले लिया और किसानों के सभी टेक्स बंद कर दिये थे। आज महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए किसानों का आंदोलन जो पिछले दस महीनों से चल रहा है इन सभी काले कृषि कानूनों को निरस्त करके इन किसानों का सम्मान बहाल किया जाये यही महात्मा गांधी के प्रति समर्पित भाव से सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। इस अवसर पर उनके साथ सूरज कुमार, महेद्र सिंह, जोगेन्द्र, राकेश, बलकार सिंह, लालचंद, बस्तीराम, बंसीराम, रामचंद्र, पवन कुमार, रामकिशन, मदन सिंह, भोलूराम, बाबूलाल, रामकंवार आदि मौजूद रहे।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें