रेडक्रॉस सोसायटी में मरे हुए व्यक्तियों ने की ट्रेंनिग, का मामला जिला प्रशासन की जांच के ऊपर सवाल खड़े कर रहा है। इस मामले का भांडा फोड़ करने वाले अधिवक्ता सुनील भार्गव का कहना है कि हरियाणा में अब सरकार के न्याय पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यदि कोई व्यक्ति किसी चीज का पर्दाफाश करता है तो जांच के नाम पर उसको स्वयम सबूत जुटाने होंगे, जांच करने वाले अधिकारी को थाली में परोस कर देना होगा कि ये लो सबूत जबकि जिला प्रशासन का जांच अधिकारी मिनटों में सबूत एकत्रित कर दूध का दूध और पानी का पानी कर सकता है। मगर कहीं न कहीं जांच अधिकारी दवाब में है जिस कारण मृतकों के डेथ सर्टिफिकेट मुझे ही उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। हम आपको बतां दें अधिवक्ता सुनील भार्गव (जो रेडक्रॉस सीएसआर कमेटी के सदस्य भी हैं) को सूचना मिली कि रेडक्रॉस सोसाइटी में बहुत घपले बाजी चल रही है। पैसे के दम पर चाहे किसी मृतक के नाम भी आप फर्स्टएड ट्रेनिंग सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं।
यह सुनकर सुनील भार्गव दंग रह गए और उन्होंने इसकी पड़ताल करने के लिए अपने किसी एक व्यक्ति को पैसे व एक मृतक का आधार कार्ड देकर भेजा। रेडक्रॉस में बैठे एक नुमाईंदे ने पैसे लेकर मृतक के आधार कार्ड से ही फर्स्टएड ट्रेंनिग सर्टिफिकेट जारी कर दिया। हाथ मे आए इस सर्टिफिकेट को देख सुनील भार्गव ने इसकी शिकायत जिला उपायुक्त से लेकर सीएम व महामहिम राज्यपाल को भी भेज दी। जिला रेडक्रॉस सोसायटी के चेयरमैन जिला उपायुक्त होता है व सर्वेसर्वा माननीय राज्यपाल हरियाणा होता है। जिला उपायुक्त ने इस मामले की जांच पहले एसडीएम रेवाड़ी फिर एसडीएम बावल को सौंप दी। सुनील भार्गव का कहना है कि जांच के नाम पर उनको मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है कि आप इस मृतक का डेथ सर्टिफिकेट लाएं। भार्गव का कहना है कि कोई अपने परिजन का या नगरपरिषद मुझे डेथ सर्टिफिकेट क्यों देगी जबकि एसडीएम चाहे तो एक फोन कॉल पर उनको मृतक का डेथ सर्टिफिकेट व रिकार्ड मिल जाएगा। मगर एसडीएम बावल ने ऐसा नहीं किया। बस शिकायतकर्ता को हरासमेंट करने का कार्य किया है। सुनील भार्गव ने मीडिया को बताया कि अब उन्होंने आरटीआई के माध्यम से सम्बंधित विभाग से मृतक का डेथ सर्टिफिकेट मांगा है। सुनील भार्गव का कहना है कि यदि प्रशासन इस प्रकार जांच के नाम पर शिकायतकर्ता को प्रताड़ित करेगा तो कोई भी साधारण व्यक्ति किसी अधिकारी की शिकायत नहीं कर पाएगा। सुनील भार्गव ने कहा कि हैरानी की बात है पूरी रेवाड़ी को इस मामले की जानकारी है मगर पक्ष व विपक्ष के लोग चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को मुझ से नहीं बलिक दोषी अधिकारियों से मृतकों के जिंदा होने के सबूत मांगने चाहिए। भार्गव ने कहा कि वे एक अधिवक्ता है इस लिए वे डटे हुए हैं वरना कोई और अब तक बलि का बकरा बन गया होता। अंत मे उन्होंने कहा कि यदि जिला प्रशासन ने उनके साथ न्याय नहीं किया तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे व दोषियों को सजा दिलवाएंगे।
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