Rewari News : सरकार के एम्बुलेंस रेट निर्धारण में खामियां, निर्धारित किराए पर करे मंथन : अग्रवाल

कोरोना महामारी के दौरान मरीज व शव को लाने, ले जाने के लिए एम्बुलेंस का प्रयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है। कुछ एम्बुलेंस चालक मनमाने रेट वसूल रहे है जो गलत है। इन पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने एम्बुलेंस के रेट फिक्स किये है जो साधारण एम्बुलेंस के लिए 7रुपये व जीवन रक्षक उपकरण के साथ 15 रुपये। इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय वायुसेना के मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर सेवानिवृत्त जूनियर वारंट ऑफिसर जीएस अग्रवाल ने कहा कि लगता है सरकार ने आनन फानन में ये रेट्स जारी किए है जो एम्बुलेंस चालकों के साथ न्याय नहीं है। उन्होंने बताया कि आम वाहन भी 12 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से किराया वसूलता है। आज हरियाणा में पेट्रोल 89 ₹ ओर डीजल 81₹ के आसपास है। दिल्ली में पेट्रोल 91₹ और डीजल 81₹ पहुंच गया है। एम्बुलेंस गाड़ी लगभग 10 किलोमीटर प्रति लीटर की एवरेज देती है। इस प्रकार 8 रुपये प्रति किलोमीटर तो सिर्फ तेल का खर्च है। चालक की मजदूरी, गाड़ी की सर्विस व गाड़ी के अन्य खर्चे अलग है। इस कोरोना महामारी में एम्बुलेंस चालक अपनी जान जोखिम में डाल कर जनता की सेवा कर रहा है, वो कैसे 7 रुपये प्रति किलोमीटर में एम्बुलेंस चला पाएगा। 



जिस जीवन रक्षक गाड़ी का किराया 15 रुपये किलोमीटर किया है, उस चालक से पूछिये जो रोजाना 500 रुपये खर्च कर पिपीई किट पहनता है, उसको लाइन में लग कर ऑक्सीजन सिलेंडर लेने जाना पड़ता है जो अब मिल भी नहीं रहे। वेंटिलेटर वाली एम्बुलेंस के लिए निजी हस्पतालों से स्टाफ हायर करना पड़ता है, गाड़ी की रोजाना धुलाई व सैनेटाइज करानी पड़ रही है तथा गाड़ी की किस्त भी भरनी पड़ती है। आज कोरोना काल मे स्टाफ भी बड़ी मुश्किल से मिल रहा है, ऐसे में एम्बुलेंस चालक क्या करे। माना कि कुछ एम्बुलेंस चालक नाजायज भी कर रहे हैं, हम उनकी वकालत नहीं कर रहे लेकिन सरकार उन्हें सुविधा मुहैया कराने की बजाय उन पर लगाम लगा रही है जो सरकार की पॉलिसी में खामियां बयां करता है। कुछ एम्बुलेंस यहां से दूसरे राज्यों में मरीज व शव ले जाती है उन्हें वहां यहां से काफी महंगा पेट्रोल-डीजल मिलता है। सरकार को चाहिए कि वर्तमान पेट्रोल- डीजल के भाव व वर्तमान स्थिति को देखते हुए दरें निर्धारित करें ताकि एम्बुलेंस चालक अपनी रोजीरोटी सेवा भाव से कमा सकें। जूनियर वारंट ऑफिसर अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा निर्धारित किए गए ये रेट सरकारी एम्बुलेंस के लिए ठीक हो सकते हैं मगर निजी अस्पताल व निजी लोगों द्वारा चलाई जा रही एम्बुलेंस के लिए ठीक नहीं है। इस पर सरकार को मंथन करने की नितांत आवयश्कता है।

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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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