रेवाड़ी (12 मई) भयंकर संक्रमण के दौर में हम सभी क्षेत्रवासी एवं समस्त भारवासी संक्रमण को काबू करने के लिए यथा संभव प्रयास करे। जैसे वन में आग लगी तो एक चिडि़या ने अपनी चोंच से आग बुझाने का प्रयास किया। इन पर आईसोलेसन, मास्क, सेनेटाईजर के बारे में सभी जान चुके है। इनका भी अपना एक महत्व है। आयुर्वेद का भी बहुत बड़ा महत्व रहा है। आयुर्वेदिक दवाओं का मनमर्जी और अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान हुआ है। अब एक काम हम सबको मिलकर करना चाहिए, व्यतिगत तौर पर करना चाहिए, बाजार, मन्दिर और सड़क पर करना चाहिए। ये ऐसी विधि है जो लोग अमर मंत्र नहीं जानते है। हम किसी भी जाति या धर्म के है, अनपढ़ या पढ़े लिखे है।
कण्डे पर या लकड़ी पर कुछ हवन सामग्री, कपूर, लोंग सुबह शाम स्वयं करे। तथा सभी को संक्रमण को रोकने के लिए वातावरण की शुद्धी के लिए सभी करे ये धर्म का धर्म और कर्म का कर्म है। मैं स्वयं डबल मार से पीडि़त हूँ, हमारे यहाँ भिवाड़ी धारूहेड़ा आदि औद्योगिक क्षेत्र के कारण जमीन के नीचे का पानी भी प्रदुषित हो चुका है। स्वास्थय विभाग से आग्रह है कि धारूहेड़ा के अण्डर ग्राउण्ड वाटर की जांच करके उपाय किया जाए या योजना बनाई जाए। पिछले कोरोना काल के दौरान हमने अधिकतर घरों में कपूर एवं दो लोंग घरो में जलवाए थे और सुबह शाम में कुछ नीम के पत्ते, सुखी गिलोय का टुकड़ा डालकर धूनी लगवाई थी। ये फिर से किया जाना चाहिए लोकडाउन के बाद व्यापक स्तर पर इसपर हवन करे। WHO द्वारा ये चेतावनी थी कि अगर भारत तीन दिन में कन्ट्रोल नहीं पाया तो कोरोना कैम्यूनिटी हो जाएगा और मृत्यूदर का आकड़ा 50000 को पार कर जाएगा। किन्तू WHO को ये नहीं पता भारत देश सम्पदाओं का देश है और ज्ञान का भण्डार है। यहाँ आक, धतुरा, निम, गिलोय जड़ी बूटियों का हवन व धूनी इसका उपाय है। दूसरा अधिक सुविधाओं का ज्ञान सामने आ चुका है। और इसका सबूत हैै। 80 प्रतिशत संक्रमितों का उपचार RMP Dr. सावधानी के साथ कर रहे है। उसका सर्वावाईवल रेट ज्यादा है। धरातल पर देखने में पाएगे बड़ा ईलाज फेल रहा है। और घर के नुस्कों से होम क्वारटाईन होकर जीवन बचाव उपर से बड़े ईलाज के भ्रष्टाचार ने खुब धूम मचाई है। शासन प्रसासन नेता सभी धराशायी हो गए।
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