रेवाड़ी, 3 मार्च। डीसी यशेन्द्र सिंह ने कहा है कि वन्यजीवों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि यह पृथ्वी अनेक प्रजातियों का घर है और वन्यजीव पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन जीवों का संरक्षण काफी महत्वपूर्ण है। मानव द्वारा अपनी जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से इन वन्यजीवों के क्षेत्रों में लगातार किए जा रहे हस्तक्षेप के कारण कई प्रताजियों विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं। उन्होंने कहा कि वन्य जीवों को शिकार बनाया गया तो इससे धरती के ईकोसिस्टम पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ेगा और आने वाले समय में इसके गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। डीसी ने कहा कि इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए और वन्यजीवों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आज का दिन विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में मनाया जाता है। यशेन्द्र सिंह ने कहा कि विलुप्त हो रहे वन्य जीवों और जंगली पौधों के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि वन्य जीवों और वन्य पौधों के अस्तित्व को बचाने के लिए हमें कदम उठाने की जरूरत है। हमें इस दिवस की महत्ता को गहराई से समझने की आवश्यकता है। अगर हम नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब ये वन्यजीव प्रजातियां पूरी तरह से विलुप्त हो जाएंगी। वन्य जीव निरीक्षक देव सिहाग ने बताया कि नाहड़ वन्यजीव अभयारण्य रेवाड़ी के कोसली कनीना मार्ग पर नाहड़ गांव में है। इस वन्य जीव अभयारण्य में प्रजातियां ब्लैक बक व अन्य प्रजातिया जैसे रोंझ, सियार, भारत सुन, जंगल बिल्ली आदि है। उन्होंने बताया कि इस वन्य जीव अभ्यारण में मोर, फ्रांसोलिन, जंगल कौवा, ईगल, उल्लू, उडऩखटोला, लाल मवेशी भेड़ के बच्चे आदि भी पाए जाते है।
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