ग्राम समाचार न्यूज : रेवाड़ी : रेवाड़ी के नेहरू पार्क में शनिवार को एमस बनाओ संघर्ष समिति की ओर से एक दिन का सांकेतिक धरना दिया गया और एमस माजरा गाँव में बने और इसके लिए प्रति एकड़ कम से कम 50 लाख रुपये जमीन का मुआवजा मिले यह मांग करते हुए लघु सचिवालय पहुंच कर मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री के नाम डीडीपीओ को ज्ञापन सौंपा गया. एमस संघर्ष समिति के वक्ताओं ने कहा कि सरकार की नीयत में खोट दिखाई दे रहा है जो घोषणा करने के बावजूद भी एमस के शिलान्यास में देरी की जा रही है. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से एमस के लिए संघर्ष चल रहा है कितनी ही बार पैदल यात्रा निकाली गई, चार महीने से अधिक दिनों तक धरना और अनशन किया गया, ज्ञापन सौंपे गए और गिरफ्तारियां दी गई लेकिन सरकार कभी मनेठी में कभी माजरा में और कभी मसानी में एमस बनाने की बात करती हैं लेकिन काम शुरू नहीं किया जा रहा है. जबकि किसान जमीन देने को तैयार है लेकिन सरकार जमीन का सर्कल रेट भी नहीं दे रही है. मनेठी को अरावली वन क्षेत्र बताकर वहां एमस बनाने से मना कर दिया गया इसके बाद अब माजरा गांव में एमस निर्माण की बात हो रही है लेकिन यहा किसानो को उनकी जमीन का उचित मुआवजा नहीं देकर अब मसानी में जमीन देखने की बात की जा रही है एमस की घोषणा 2019 चुनाव से पहले की गई थी इससे तो ऐसा ही लगता है कि बीजेपी सरकार 2024 का चुनाव एमस के मुद्दे पर लड़ना चाहती है वैसे तो सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है लेकिन उन्हें मुआवजा तक भी देने में सरकार संकोच कर रही है.
इसी मांग को लेकर अब मुआवजे का पेच फंसा हुआ है. भालखी माजरा में एमस बनाने के लिए सरकार की ओर से 30 लाख रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा देने की बात कही गई है जोकि बहुत कम है लेकिन किसानो की ओर से 50 लाख रुपये प्रति एकड़ की मांग की जा रही है. सरकार की ओर से 30 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की घोषणा की गई है. समिति की ओर से धरने में पहुंचे अलग अलग वक्ताओं ने अपने विचार रखे और कहा कि सरकार जमीन अधिग्रहण की मुआवजा राशि बढ़ाए अन्यथा वे अपनी जमीन नहीं देंगे और जल्द से जल्द एमस पर का निर्माण शुरू करवाए ताकि इलाके की मांग पूरी हो सके.
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