ग्राम समाचार संवाददाता जमशेदपुर: झारखण्ड सरकार ने जनगणना 2021मे सरना धर्म के लिए अलग काॅलम आवंटित का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने का फैसला किया है। इसके लिए आज दिनांक 11 नवम्बर2020 को विशेष सत्र बुलायी है। जिसमें प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जायेगा। ज्ञातव्य है, कि जनगणना 2011में कुल मिलाकर छ: धर्मो के लिए ही अलग-अलग काॅलम आवंटित किया गया था। उनमें क्रमशः हिन्दू, मुस्लिम,सिख, ईसाई, बौद्ध, एवं जैन धर्म के काॅलम शामिल है। हालांकि आदिवासी धर्मावलंबियों के लिए कोई विशेष या अलग काॅलम आवंटित नहीं था। स्वतंत्रता पूर्व के जनगणना के आलेख बताते हैं कि 1871 ई॰ में आदिवासियों को Aborigines और बाद के दिनों में Animist, Tribal Religion इत्यादि के नाम काॅमल आवांटित था। परन्तु आजादी के ठीक बाद इन काॅलम हटा दिया गया। जो दुःखत जनक है। अब तक के जनगणना में जनगणना कर्मचारी द्वारा संबंधित व्यक्ति के धर्म के सिलसिले में प्रशन पूछा जाता है। साथ ही उन्होंने कहा जाता है कि अगर इन छः धर्मों के अलावा कोई अन्य धर्मों मानते हैं। तो उसका नाम लिखें। अर्थात् आदिवासी या सरना धर्म मानने वाले लोगों के लिए अपना धर्म लिखने का प्रावधान जनगणना में था। लेकिन उसके लिए कोई काॅलम आवंटित नहीं था। इस कारण से मंत्रिमंडल ने सरना धमध के लिए अलग काॅलम आवंटित करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजने का फैसला लिया है। इसकी मांग लम्बे समय से विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों के द्वारा भी की जा रही थी। विशेषकर वे आदिवासी समुदाय जो प्रकृति के पूजक और उसके उपासक हैं। अधिकांशतः झारखण्ड में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लिए सरना कोड लागू करने की जरूरत है।कोड लागू होने से आदिवासियों की पहचान व अस्तित्व बरकरार रखने में सहायक सिद्ध होगी।
कालीदास मुर्मू , जमशेदपुर।
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